नरेंद्र मोदी और अमित शाह (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव के बाद गिरे हुए मनोबल के साथ हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव में उतरी भाजपा को अब बूस्ट मिल चुका है। जम्मू-कश्मीर में मनचाही सफलता भले ही न मिली हो, लेकिन हरियाणा में उम्मीदों के विपरीत जीत ने एक नई उम्मीद की किरण जगा दी है। वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में भाजपा को 272 के जादुई आंकड़े से पहले रोककर उत्साहित कांग्रेस के मनोबल में गिरावट देखी जा रही है। हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा और कांग्रेस में मामला एक- एक पर टाई हो गया है। अब महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव से देश का माहौल पता चलेगा।
हरियाणा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर अब एक नए जोश के साथ भाजपा महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी चुनौतियों से दोचार होने को तैयार है। इन दोनों राज्यों में भाजपा- कांग्रेस का सीधा मुकाबला न होकर NDA और ‘INDIA’ गठबंधन का हो गया है। वर्तमान में महाराष्ट्र में NDA गंठबंधन की सरकार है तो वहीं झारखंड में ‘INDIA’गठबंधन की सरकार है। दोनों राज्यों में चुनाव की घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा इन दोनों राज्यों में जीत की लय बरकरार रख पाएगी?
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झारखंड में भारतीय जनता पार्टी का मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन से है। इस बार यहां बीजेपी ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और जनता दल यूनाइटेड के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है। भाजपा इस बार सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेसी को भुनाने की कोशिश करेगी। वहीं जेएमएम और कांग्रेस अपने 5 साल का हिसाब-किताब जनता के सामने रखेंगे।
सोशल इंजीनियरिंग में जुटी भाजपा
सूबे में भाजपा जातीय समीकरण साधने में जुटी हुई है। इसके लिए आदिवासी मतदाताओं पर विशेष फोकस हैं। वहीं बता दें कि भाजपा के पास वर्तमान में तीन आदिवासी समुदाय के बड़े चेहरे हैं। जिनमें अर्जुन मुंडा, बाबू लाल मरांडी और हालही में जेएमएम छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए चंपई सोरेन शामिल हैं। वहीं भाजपा के पास ओबीसी का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इसलिए भाजपा एनडीए सहयोगियों के साथ मिलकर इस कमी को पूरा करना चाहती है।
जोर-शोर से इन मुद्दों को भुनाएगी भाजपा
झारखंड में बीजेपी का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा कर रहे हैं, जिन्होंने आक्रामक चुनावी रणनीति अपनाई है। इस चुनाव में भाजपा बंग्ला देशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोर शोर से उठाएगी। भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर भाजपा सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को निशान बनाएगी। गौरतलब है कि हाल में सीएम सोरेन पीएमएलए के केस में जेल गए थे। फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं।
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महाराष्ट्र में आरक्षण का मुद्दा गर्म
महाराष्ट्र में चुनाव से पहले ही आरक्षण का मुद्दा काफी गर्म है। विपक्षी दल इसी के सहारे बीजेपी-महायुति सरकार को घेरने में लगे हैं। सूबे में मराठा समुदाय के लोग ओबीसी कोटे में आरक्षम की डिमांड कर रहे हैं, लेकिन ओबीसी समुदाय इसके विरोध में है। इसी तरह धनगर समाज के लोग आदिवासी का दर्जा देने की मांग कर रहे है, लेकिन एसटी वर्ग के लोग धनगर समाज की इस डिमांड के खिलाफ हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा फोकस फिलहाल डैमेज कंट्रोल करने और बीच का रास्ता निकालने पर है।
महाराष्ट्र में ‘माधव’ के सहारे भाजपा
भाजपा ने इस चुनाव में महाविकास अघाड़ी को हराने के लिए खास ‘माधव’ नामक ब्राम्हास्त्र के सहारे हैं। इस रणनीति के तहत भाजपा विधानसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए 80 के दशक का माधव फार्मूला इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है। माधव फार्मूले का मतलब है मा- माली, ध- धनगर और वा- वंजारी (बंजारा) है।
दरअसल महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी जातियों की संख्या सबसे ज्यादा है। ‘माधव’ इसी ओबीसी समुदाय में आते हैं। इस राज्य में मराठा 31 फीसदी से ज्यादा हैं तो वही ओबीसी 356 उपजातियों में बंटी हुई हैं। बीजेपी फिलहाल इन्हीं दोनों समुदाय को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रही है।