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पहलगाम : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की वादियों में जो मंजर देखने को मिला, उसने हर एक भारतीय की रूह को झकझोर कर रख दिया। खूबसूरत बैसरन घाटी में हुए बर्बर आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस भयावह घटना को आज एक महीना बीत चुका है, लेकिन इसके जख्म अब भी ताजे हैं और इसका सबसे गहरा असर स्थानीय पर्यटन और उससे जुड़ी रोजी-रोटी पर पड़ा है।
हमले के बाद देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई। केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाते हुए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। इस सटीक सैन्य कार्रवाई में भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान में बने आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया और सैकड़ों आतंकियों को ढेर कर दिया।
पहलगाम, जो कभी पर्यटकों से गुलजार रहता था, आज सन्नाटे की चादर ओढ़े बैठा है। जहां पहले दिन भर सड़कों पर चहल-पहल और रौनक हुआ करती थी, वहीं अब खाली सड़कों, बंद दुकानों और खाली टैक्सियों का आलम है। पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाकों में पर्यटक अब कश्मीर आने से कतरा रहे हैं।
#WATCH | J&K: Tourist footfall in Pahalgam remains extremely low even after a month of #PahalgamTerroristAttack. Tourist attractions, hotels, and streets appear deserted. pic.twitter.com/8DsFhGFTgq
— ANI (@ANI) May 22, 2025
घोड़ों पर सवारी कराने वाले, टैक्सी ड्राइवर, होटल मालिक, गाइड, दुकान चलाने वाले सभी की कमाई पर ब्रेक लग गया है। पीटीआई के मुताबिक एक स्थानीय दुकानदार मोहम्मद इरशाद बताते हैं कि पिछले एक महीने से हमने एक रुपया भी नहीं कमाया है। हालात ऐसे रहे तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। सरकार को हमारी सुध लेनी होगी।
हमले के बाद से घाटी में डर और तनाव का माहौल है। पर्यटक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, जिससे पर्यटन क्षेत्र की रिकवरी मुश्किल हो गई है। सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए संदेश जरूर दिया है, लेकिन लोगों के मन से डर निकालना अभी बाकी है।
स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द सुरक्षा का भरोसा दिलाए और पहलगाम को एक बार फिर पर्यटकों के लिए सुरक्षित गंतव्य के तौर पर स्थापित करे। इसके लिए विशेष प्रचार अभियान, पर्यटक बीमा सुरक्षा, सब्सिडी पैकेज और टूरिज़्म से जुड़े व्यवसायों के लिए राहत पैकेज दिए जाने चाहिए।