प्रतीकात्मक फोटो फोटो क्रेडिट- शोसल मीडिया
नई दिल्ली: ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्रीय कैबिनेट ने उच्च स्तरीय कमेटी की सिफारिशों को मंजूर दे दी है। इसकी जानकारी 18 सितंबर 2024 दिन बुधवार को सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी।
वन नेशन वन इलेक्शन देश के लिए क्यों जरूरी है इस पर रेखांकित करते हुए अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 1999 में लॉ कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिश की थी कि देश में चुनाव एक साथ होने चाहिए, जिससे देश में विकास कार्य चलते रहें।इसके अलावा चुनाव की वजह से जो बहुत खर्चा होता है, वो न हो। बहुत सारा जो लॉ एंड ऑर्डर बाधित होता है, वो भी न हो। एक तरीके से जो आज का युवा है, आज का भारत है, जिसकी इच्छा है कि विकास तेजी ये कानून बने ताकि उसमें चुनावी प्रक्रिया की वजह से कोई बाधा न पैदा हो।
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वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने एक प्रतिष्ठित समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ कानून आने पर चुनावों में ब्लैक मनी का बड़े पैमाने पर जो इस्तेमाल होता है और अगर एक साथ चुनाव होते हैं तो इसमें काफी कमी आएगी। साथ ही चुनाव खर्च का बोझ भी कम होगा, समय कम जाया होगा और पार्टियों और उम्मीदवारों पर खर्च का दबाव भी कम होगा।
छोटी पार्टियों को फायदा
उनके ऐसा कहने के पीछे तर्क ये था कि पार्टियों पर सबसे बड़ा बोझ इलेक्शन फंड का होता है। ऐसे में छोटी पार्टियों को इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि विधानसभा और लोकसभा के लिए अलग-अलग चुनाव प्रचार नहीं करना पड़ेगा।
1983 से ही शुरू हो गई थी कोशिश
हालांकि वन नेशन वन इलेक्शन कोई नया नहीं है 1951 से 1967 तक चुनाव एक साथ होते थे। उसके बाद में 1999 में लॉ कमिशन ने देश में एक साथ चुनाव के लिए अपनी रिपोर्ट में सिफ़ारिश की थी। वरष्ठ पत्रकार बताते हैं कि इसकी कोशिश 1983 से ही शुरू हो गई थी और तब इंदिरा गांधी ने इसे अस्वीकार कर दिया था।
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वन नेशन वन इलेक्शन बीजेपी की घोषणा पत्रों में शामिल रहा। इसके लिए 2023 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई थी। इस समिति ने सभी राजनीतिक पार्टियों, जजों और अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले बड़ी संख्या में विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर के ये रिपोर्ट तैयार की है।