प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: मुगल शासक औरंगजेब इतिहास में अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात है। सत्ता और उत्तराधिकार की लड़ाई में उसने अपने बड़े भाई दारा शिकोह का सिर कटवा दिया। उसने अपने भतीजे यानी दारा शिकोह के बेटे को भी मरवा दिया, जिसने दारा शिकोह का साथ दिया था। बाद में उसने उन लोगों को भी मरवा दिया, जिन्होंने उसके भाई और भतीजे की हत्या करवाई थी। सत्ता पर एकाधिकार करने के लिए उसने अपने बूढ़े पिता शाहजहां को आगरा के किले में कैद करवा दिया, जहां वह अपनी मृत्यु तक रहा।
आज औरंगजेब की यौम-ए-पैदाइश है। 3 नवंबर 1618 को दाहोद में इस मुगल सम्राट का जन्म हुआ था। इस मौके पर हम आपके लिए औरंगजेब की पहली मुहब्बत की कहानी लेकर आए हैं। जिसे सुनकर आप भी यह यकीन नहीं कर पाएंगे कि एक युवराज को एक साधारण लड़की से इश्क हो गया।
हालांकि, इन क्रूरताओं के अलावा औरंगजेब के व्यक्तित्व का एक और पहलू भी है, जिसके बारे में कम ही बात की जाती है। औरंगजेब की प्रेम कहानियां बहुत कम मशहूर हैं। कभी स्वभाव से धार्मिक रहे औरंगजेब एक नर्तकी के प्यार में इस कदर डूब गए थे कि अपनी कसम भूलकर शराब पीने को तैयार हो गए थे।
यह उन दिनों की बात है, जब औरंगजेब शासक नहीं बल्कि राजकुमार थे। उनकी उम्र 35 साल थी। उन्हीं दिनों उन्हें दूसरी बार दक्कन का गवर्नर बनाया गया था। वह पद संभालने के लिए औरंगाबाद चले गए थे। वह बुरहानपुर (वर्तमान मध्य प्रदेश) से होकर गुजरने वाला था। बुरहानपुर में औरंगजेब की मौसी सुहेला बानो रहती थीं। वह उनसे मिलने गया। वहां उसे अपने चाचा के हरम की एक लड़की से पहली नजर में ही प्यार हो गया।
भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपनी किताब ‘गुबार-ए-ख़ातिर’ में इस घटना का ज़िक्र करते हुए 18वीं सदी में नवाब शम्स-उद-दौला शाहनवाज़ ख़ान और उनके बेटे अब्दुल हई ख़ान द्वारा लिखी गई किताब ‘मसर-अल-उमरा’ का हवाला दिया है।
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आज़ाद की किताब के हवाले से लिखा है कि कैसे अपनी मौसी के साथ आम के बगीचे में टहलते हुए हरम की उस लड़की ने एक ऊंची टहनी से आम तोड़ा और उसे ऐसा करते देख औरंगज़ेब को उससे प्यार हो गया। उस लड़की का नाम हीराबाई था, जो ज़ैनबादी महल के नाम से मशहूर हुई। हीराबाई गाने और नाचने में निपुण थी। औरंगजेब ने हीराबाई को पाने के लिए हर तरह की तरकीबें अपनाईं।
आखिरकार उसने अपने चाचा से एक समझौता किया, जिसके तहत औरंगजेब ने हीराबाई के बदले अपने चाचा को एक और दासी दे दी। मसर-अल-उमरा मुताबिक जैनाबादी महल को अपने हरम में शामिल करने के बाद औरंगजेब दुनिया से बेपरवाह हो गया। वह जैनाबादी को अपने हाथों से शराब का गिलास देता था। एक दिन जैनाबादी ने जिद की कि औरंगजेब को भी शराब पीनी चाहिए।
उसने शराब का गिलास भरा और औरंगजेब से कहा कि वह इसे अपने होठों से लगाए। पहले तो औरंगजेब जैनाबादी को मना करते रहे। लेकिन जब जैनाबादी नहीं मानी तो वह शराब पीने के लिए राजी हो गया। जैसे ही औरंगजेब ने बेबस हालत में शराब को अपने होठों की ओर बढ़ाया, जैनाबादी ने तुरंत उससे गिलास ले लिया और कहा कि उसका मकसद उसे शराब पिलाना नहीं बल्कि उसके प्यार की परीक्षा लेना है।
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