भारत की लग्जरी बसें क्यों बन रही हैं ‘मौत की सवारी’, फोटो- नवभारत डिजाइन
October 2025- The month of Bus Accidents: जैसलमेर में एसी वायरिंग में तकनीकी लापरवाही हो या जयपुर में हाईटेंशन लाइन की अनदेखी, ऐसी कई घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा मानकों को लेकर प्रशासन और बस ऑपरेटर दोनों ही स्तरों पर बड़ी चूक हो रही है। केवल अक्टूबर के महीने में 70 से ज्यादा जानें बस हादसों में चली गईं। अब सवाल ये खड़ा होता है कि ये बसें हैं या चलते फिरते ताबूत।
इन दुर्घटनाओं में भूस्खलन की चपेट में आने से लेकर हाईटेंशन लाइन से टकराने, तकनीकी शॉर्ट सर्किट और वाहनों के खाई में गिरने जैसे अलग-अलग कारण सामने आए हैं, लेकिन एक सामान्य धागा जो इन सभी त्रासदियों को जोड़ता है, वह है सुरक्षा नियमों में घोर लापरवाही। ये लापरवाही ज्यादातर बस ऑपरेटर्स की ओर से देखने को मिलती है। थोड़े से ज्यादा पैसों के लालच में परिवहन के सभी नियमों को ताक पर रख दिया जाता है। इस जोखिम का शिकार होता है एक आम आदमी। आइये आपको सिलसिलेवार तरीके से इस घटनाओं को याद दिलाते हैं।
अक्टूबर की शुरुआत में, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में एक भीषण बस हादसा हुआ, जिसने 15 लोगों की जान ले ली। मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 को हुई यह घटना झंडूता के बरठीं क्षेत्र में भल्लू पुल के पास हुई। भारी बारिश के कारण अचानक पहाड़ी से मलबा और बड़े-बड़े पत्थर एक यात्री बस पर गिर गए। हादसा इतना भयंकर था कि “पूरा का पूरा पहाड़ बस पर गिर गया”। यह संतोषी नामक निजी बस मरोतन से घुमारवीं जा रही थी। घटना के समय बस में लगभग 30 लोग सवार थे।
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासन और स्थानीय लोगों ने तुरंत रेस्क्यू अभियान शुरू किया। बचाव अभियान में लगे एक पुलिसकर्मी ने बताया कि यात्रियों के बचने की संभावना बहुत कम थी क्योंकि बस पूरी तरह मलबे में दब गई थी। झंडुत्ता की एसडीएम अर्शिया शर्मा ने पुष्टि की कि 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि तीन लोगों को जीवित बचाकर अस्पताल भेजा गया। बचाव कार्य में स्थानीय प्रशासन, पुलिस, और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें युद्धस्तर पर जुटी हुई थीं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस दुर्घटना पर दुख व्यक्त करते हुए अधिकारियों को बचाव अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।
हिमाचल की त्रासदी के ठीक एक सप्ताह बाद, 14 अक्टूबर को राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास एक एसी स्लीपर बस में आग लगने से भीषण हादसा हुआ। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 9 घायलों का इलाज जोधपुर के अस्पताल में चल रहा है। यह घटना देश में पिछले 14 दिनों में हुआ पांचवा बड़ा हादसा था।
शुरुआती अटकलें पटाखों या विस्फोटक सामग्री से आग लगने की थीं। हालांकि, जोधपुर और जयपुर की फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) टीमों की संयुक्त जांच (FSL रिपोर्ट) में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, बस के AC की वायरिंग में हुए शॉर्ट सर्किट से आग लगी। जांच में पाया गया कि बस की छत पर लगे एयर कंडीशनर की वायरिंग सीधे इंजन से जुड़ी हुई थी, जो नियमों के खिलाफ थी और एक बड़ी तकनीकी चूक भी थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि शॉर्ट सर्किट होते ही बस के अंदर घना धुआं और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस फैल गई, जिससे कई यात्री बेहोश हो गए। जब यात्रियों ने खिड़की तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश की, तो ऑक्सीजन अंदर घुसते ही आग भड़क उठी और पूरी बस लपटों में घिर गई। FSL रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि बस की डिग्गी में मिले पटाखे पानी से भीगे हुए थे, और आग छत की ओर से फैली थी।
पुलिस जांच में सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी सामने आने के बाद जैसलमेर पुलिस ने बस मालिक, ड्राइवर और बॉडी मेकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधीक्षक अभिषेक शिवहरे ने स्पष्ट किया कि हादसा तकनीकी लापरवाही के कारण हुआ, न कि किसी विस्फोटक से। सरकार ने पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की और परिवहन विभाग से बस निर्माण मानकों की समीक्षा रिपोर्ट भी मांगी गई है।
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18 अक्टूबर 2025 यानी धनतेरस के शुभ दिन पर महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में तीर्थयात्रियों से भरी एक बस के अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिरने से 8 लोगों की मौत हो गई। यह हादसा चंदशाली घाट के पास हुआ, जो अपनी खड़ी और खतरनाक ढलान के लिए जाना जाता है। सभी मृतक तीर्थयात्री अष्टम्बा देवी मंदिर के दर्शन से लौट रहे थे।
अधिकारियों के अनुसार, घाट की खड़ी सड़क पर बस चलाते समय ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया जिससे बस खाई में गिरकर पलट गई और पूरी तरह डैमेज हो गई। स्थानीय पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। घायलों को तलोदा उप-जिला अस्पताल और गंभीर रूप से घायलों को जिला अस्पताल रेफर किया गया।
राजस्थान में हुए बड़े हादसे के कुछ दिनों बाद ही 24 अक्टूबर 2025 को आंध्र प्रदेश के करनूल में एक और भीषण बस अग्निकांड हो गया। हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही कावेरी ट्रैवल्स की एक वॉल्वो बस में आग लग गई जिससे 20 लोगों की जलकर मौत हो गई।
करनूल पुलिस अधीक्षक विक्रांत पाटिल ने जानकारी दी कि देर रात लगभग तीन बजे बस एक बाइक से टकरा गई, और वह बाइक बस के नीचे ही फंस गई। इसी टक्कर के कारण चिंगारी निकली और बस में भीषण आग लग गई। बस पूरी तरह एसी थी, जिसके कारण यात्रियों को अपनी जान बचाने के लिए शीशे तोड़ने पड़े। हादसे के समय बस में दो ड्राइवर सहित कुल 40 यात्री सवार थे।
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इस बस हादसे पर मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने खेद व्यक्त किया और हर संभव मदद का ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए पीड़ितों के लिए 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का ऐलान भी किया।
मंगलवार यानी 28 अक्टूबर 2025 को जयपुर शहर से 50 किलोमीटर दूर मनोहरपुर इलाके में मजदूरों से भरी एक बस हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से भीषण हादसे का शिकार हो गई। इस घटना में बस में करंट दौड़ गया और तुरंत आग लग गई, जिसमें 3 मजदूरों की मौत हो गई और 10 मजदूर झुलस गए।
हादसे की गंभीरता इस बात से बढ़ गई कि बस में कई गैस सिलेंडर रखे हुए थे, जिनमें विस्फोट भी हुआ। जानकारी के मुताबिक, मजदूरों को टोडी के ईंट भट्टे पर ले जाया जा रहा था। मृतकों में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के नसीम और उसके बेटे सहीनम शामिल थे, जबकि एक मृतक की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, बस यूपी से जयपुर आई थी।
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और बस में फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की। जिला कलेक्टर जितेंद्र सोनी घटनास्थल पर पहुंचे, और जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (SMS अस्पताल) में मेडिकल टीम को अलर्ट किया गया। जिला पुलिस की विशेष टीम और सिविल डिफेंस की टीम भी मौके पर रवाना हुई।
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इस हादसे में भी सुरक्षा नियमों में बड़ी लापरवाही सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बस की ऊंचाई हाईटेंशन लाइन से ज्यादा थी क्योंकि लाइनें काफी नीचे थीं। आरोप है कि जिला प्रशासन को कई बार इस बारे में सूचित किया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसके अलावा, ईंट भट्टा मालिकों पर भी लापरवाही के आरोप लग रहे हैं।
अक्टूबर 2025 में लगातार हुई इन पांच बड़ी बस दुर्घटनाओं (जिसमें जैसलमेर में 26, हिमाचल में 15, करनूल में 20, और नंदुरबार में 8, तथा जयपुर में 3 मौतें शामिल हैं, कुल 72 मौतों) ने देश भर में परिवहन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जैसलमेर में एसी वायरिंग में तकनीकी लापरवाही की बात हो या जयपुर में हाईटेंशन लाइन की अनदेखी, इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि सुरक्षा मानकों को लेकर प्रशासन और बस ऑपरेटर दोनों ही स्तरों पर बड़ी चूक की जा रही है। अब देखना ये है कि क्या इन हादसों से सरकार और बस ऑपरेटर सबक लेते हैं या ये पहियों पर दौड़ते ताबूत ऐसे ही जान लेते रहेंगे।