सुखबीर सिंह बादल (डिजाइन फोटो)
चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और इस पर फैसला लेने के लिए अकाली दल शुक्रवार को बैठक कर रहा है। कार्यसमिति की इस बैठक में सुखबीर बादल के इस्तीफे पर चर्चा होगी। इसके अलावा पार्टी के पुनर्गठन पर भी विचार किया जाएगा। अकाली दल का पुनर्निर्माण कैसे किया जाएगा, इस पर मंथन होगा। इसके अलावा सुखबीर सिंह बादल के भविष्य पर भी चर्चा होगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या दशकों के इतिहास में पहली बार अकाली दल बादल मुक्त हो जाएगा?
पार्टी प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि यह बैठक 10 जनवरी को दोपहर 3 बजे पार्टी के चंडीगढ़ कार्यालय में बुलाई गई है। शिरोमणि अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल ने अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात की थी। इस बैठक में अकाल तख्त जत्थेदार ने कहा था कि जो सिद्धांत बताए गए हैं, उनके आधार पर पार्टी का पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए। 2 दिसंबर को ही अकाली तख्त के शीर्ष 5 लोगों ने बताया था कि किस तरह अकाली दल का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
दरअसल सुखबीर सिंह बादल और उनके कई साथी नेताओं को अकाल तख्त ने तनखैया घोषित कर दिया था। उन पर सरकार के दौरान बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप था। इसके तहत उन्हें अलग-अलग गुरुद्वारों में जूते साफ करने, बर्तन धोने से लेकर गेटकीपर बनने तक का काम करने की सजा दी गई थी। सुखबीर सिंह बादल ने यह सजा भी काटी थी।
सजा के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में गार्ड की नौकरी करते हुए उन पर हमला भी हुआ था। एक व्यक्ति ने उन पर गोली चलाई थी, लेकिन कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया। इससे गोली आसमान की तरफ चली गई और सुखबीर बादल बच गए। आपको बता दें कि 2007 से 2017 के दौरान अकाली दल पंजाब की सत्ता में था और आरोप है कि इस दौरान उन्होंने गुरमीत राम रहीम सिंह द्वारा की गई बेअदबी के मामले में ढिलाई बरती थी।
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आपको बता दें कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला भी सामने आया था, जिसमें फायरिंग हुई थी और दो लोगों की मौत हो गई थी। इन 10 सालों में अकाली दल ने भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार चलाई। जिसकी एवज में सुखबीर बादल ने पूरी विनम्रता के साथ 10 दिन की धार्मिक सजा काटी थी और बिना किसी शर्त के अकाल तख्त से माफी भी मांगी थी।
हालांकि सोमवार को ही सुखबीर बादल ने यह भी कहा था कि वह दोषी नहीं हैं। उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत विरोधी लोगों ने फंसाया है। दूसरी ओर अकाली दल के बागी गुट ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें पार्टी में सत्ता पर काबिज नेतृत्व को भगोड़ों का समूह करार दिया गया।
इस प्रस्ताव में कहा गया कि इन लोगों ने पार्टी के पुनर्गठन के आदेश का उल्लंघन किया है और आदेश को लागू करने से भाग रहे हैं। इतना ही नहीं बागी गुट के नेता गुरप्रताप सिंह वडाला ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल अकाली दल का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। हम उन्हें पार्टी का नेता भी नहीं मानते। राजनीतिक दृष्टि से बादल परिवार के लिए यह पिछले कई दशकों का सबसे कठिन दौर है।