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नीतीश की गिरफ्तारी, लालू का अनोखा विरोध; जेहन में ताजा हैं इमरजेंसी के किस्से

इमरजेंसी के 26 जून 2025 को 50 वर्ष पूरे हो गए। इसी दिन भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय की शुरुआत हुई थी। ऐसे में आज इमरजेंसी के वो किस्से जो आज भी जेहन में ताजा हैं।

  • By Saurabh Pal
Updated On: Jun 25, 2025 | 08:56 AM

नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव (फोटो-सोशल मीडिया)

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नई दिल्लीः 26 जून भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली ने संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की थी। इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी को कांग्रेस की सत्ता और देश में गांधी परिवार के सियासी रसूख को बचाए रखने की जद्दोजहद के रूप में देखा जाता है। इमरजेंसी के दौरान नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे। साथ ही देश के सभी नेताओं को जेल की काल कोठरी में धकेल दिया था। 26 जून 1975 को लागू की गई इमरजेंसी के 50 साल पूरे हो गए। आज हम इमरजेंसी के उन किस्सों का जिक्र करेंगे जो आज भी जेहन में ताजा हैं।

इमरजेंसी के दौरान देश के सभी बड़े नेताओं की गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन कुछ ऐसे भी नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिनका नाम राजनीतिक रूप से उस समय उतना बड़ा नहीं था, जितना की अब है। उसमें प्रमुख रूप से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव का नाम आता है। ये दोनों नेता इमरजेंसी के खिलाफत कर सियासी स्तंभ बन गए।

नीतीश की गिरफ्तारी पर पुलिसवालों को मिला था इनाम

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इमरजेंसी के वक्त काफी सक्रिय थे। यह नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर का शुरुआती दौर था। विरोध प्रदर्शनों में उनकी सक्रिय भागीदारी सरकार को चुभ रही थी। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी का आदेश जारी हुआ और 9/10 जून 1976 की दरमियानी रात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। युवा नीतीश कुमार को गिरफ्तारी में शामिल 15 पुलिसकर्मियों को 2750 रुपये इनाम मिला था। पुलिस अधिकारियों को सूचना मिली की नीतीश कुमार पटना और भोजपुर के आंदोलनकारी दुबौली गांव में बैठक करने वाले हैं। यहीं से मीसा कानून के तहत नीतीश कुमार सहित कई अन्य नेता गिरफ्तार हुए।

लालू ने बेटी का नाम इसलिए रखा मीसा

इमरजेंसी के दौरान राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव युवा थे। वह इमरजेंसी के खिलाफ जेपी के आंदोलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। यह वक्त लालू प्रसाद यादव की छात्र राजनीति का था। उस समय वह पटना यूनिवर्सिटी के महासचिव थे। उनके साथ युवा शक्ति तो थी ही साथ ही उनके भाषण देने का अंदाज लोगों का काफी पसंद आ रहा था। ये बात सरकार को खटक रही थी। इसके बाद लालू की गिरफ्तारी का फरमान आया। उन्हें भी मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। लालू 1977 तक जेल में बंद रहे। इसी दौरान उनकी बेटी मीसा पैदा हुई थीं। मीसा कानून के खिलाफ लालू प्रसायद यादव ने अपनी बेटी का नाम मीसा रख दिया, जिन्हें मीसा भारती के नाम से जानते हैं।

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अटल बिहारी वाजपेयाी ने नाश्‍ता किया और फिर दी गिरफ्तारी

26 जून 1975 को लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वायपेयी को गिरफ्तार किया गया था। यह वो दौर था जब दोनों नेताओं को विपक्ष की मुखर आवाज माना जाता था। इनकी गिरफ्तारी का यह किस्सा काफी याद किया जाता था। आडवाणी और अटल को पहले ही गिरफ्तारी की सूचना मिल चुकी थी। कभी पुलिस दोनों नेताओं को गिरफ्तार कर सकती थी।

लालकृष्‍ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी दोनों बेंगलुरु के एमएलए हॉस्‍टल में मौजूद थे। ऐसे में दोनों ने निर्णय किया की पुलिस आएगी, तो गिरफ्तारी दे देंगे। अटल ने आडवाणी से कहा कि चलो नाश्ता कर लेते हैं, पुलिस कभी भी आ सकती है। इसके बाद दोनों नेता नाश्ते की मेज पर बैठे ही थे कि खबर मिली की बाहर पुलिस आ गई है। जैसे ही अटल और आडवाणी कैंटीन से बाहर निकले पुलिस ने कहा हम आप लोगों को गिरफ्तार करने आए हैं। इसके बाद दोनों नेताओं ने गिफ्तारी दे दी। अटल बिहारी वाजपेयी 18 महीने जेल में कैद रहे। वाजपेयी ने जेल में रहकर आपातकाल के विरोध में कविताएं लिखकर इंदिरा गांधी की कड़ी आलोचना की थी।

Stories of arrest of lalu prasad yadav and nitish kumar during emergency

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Published On: Jun 25, 2025 | 08:56 AM

Topics:  

  • Emergency In India
  • Lalu Prasad Yadav
  • Nitish Kumar

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