सुखेंदु शेखर रे (सौ.सोशल मीडिया)
कोलकाता: कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर संग दरिंदगी मामले पर आवाज उठाना TMC नेता को भाड़ी पड़ गया। ममता सरकार ने अपने ही नेता को फेक न्यूज फैलाने के आरोप में नोटिस भेजा है। राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रे ने आरजी कर अस्पताल में हुए घटना को पर जांच करने की मांग की थी। जिसे पुलिस द्वारा गलत सूचना बताया गया है। पुलिस की ओर से आज शाम 4 बजे पुलिस मुख्यालय में पेश होने का आदेश दिया गया है।
ट्रेनी डॉक्टर मामले को लेकर सुखेंदु ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था। जिसमें लिखा, “CBI को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए। पूर्व प्रिंसिपल और पुलिस कमिश्नर को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है, ताकि पता चल सके कि आत्महत्या की कहानी किसने और क्यों फैलाई? हॉल की दीवार क्यों गिराई गई? रॉय को इतना शक्तिशाली बनाने के लिए किसने संरक्षण दिया? 3 दिन बाद खोजी कुत्ते का इस्तेमाल क्यों किया गया? ऐसे सैकड़ों सवाल हैं, उन्हें बोलने दीजिए।”
पुलिस ने इस मामले में कहा कि खोजी कुत्तों के बारे में दी गई जानकारी पुरी तरह से गलत है। पुलिस ने एक बयान जारी करते हुए कहा, ” खोजी कुत्ते को तीन दिन बाद भेजने की सूचना पूरी तरह से गलत है। खोजी कुत्ते को दो बार 9 तारीख को और फिर 12 तारीख को भेजा गया था। अब सुखेंदु शेखर रे को बीएनएस की धारा 35(1) के तहत नोटिस भेजा गया है।”
CBI must act fairly . Custodial interrogation of Ex Principal and Police Commissioner is a must to know who and why floated suicide story.Why wall of hall demolished, who patronised Roy to be so powerful, Why sniffer dog used after 3 days.100s of such questions. Make them speak
— Sukhendu Sekhar Ray (@Sukhendusekhar) August 17, 2024
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कोलकाता पुलिस ने सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पास आज रविवार 18 अगस्त से 24 अगस्त तक निषेधाज्ञा लागू की है। जिसके मुताबिक पांच से अधिक लोगों के एक जगह पर इकट्ठा होने और सभा करने पर प्रतिबंध होगा। आदेश में कहा गया है कि कोलकाता पुलिस ने अस्पताल के आसपास भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)की धारा-163(2) लागू कर दी है। अस्पताल के आसपास के क्षेत्र से लेकर श्यामबाजार फाइव-पॉइंट क्रॉसिंग तक निषेधाज्ञा लागू की गई है। जारी आदेश के मुताबिक, निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNSS), 2023 की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।