सोनिया गांधी (फोटो- सोशल मीडिया)
Sonia Gandhi in Congress Working Committee: कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने गुरूवार को कांग्रेस संसदीय दल की बैठक के दौरान कहा कि भारत को अब इस मुद्दे पर नेतृत्व का परिचय देना चाहिए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सरकार की प्रतिक्रिया तथा गहरी चुप्पी और मानवता एवं नैतिकता, दोनों का परित्याग है।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने एक लेख में कहा कि सरकार के कदम मुख्य रूप से भारत के संवैधानिक मूल्यों या उसके सामरिक हितों के बजाय इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत मित्रता से प्रेरित प्रतीत होते हैं। सोनिया गांधी ने कहा, व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली कभी भी स्वीकार्य नहीं है और यह भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शक नहीं हो सकती।
सोनिया गांधी ने इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर पिछले कुछ महीनों में तीसरी बार लेख लिखा है, जिनमें उन्होंने हर बार की तरह इस मुद्दे पर मोदी सरकार के रुख की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने में फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया के साथ शामिल हो गया है।
इसके साथ ही उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 150 से अधिक देशों ने अब ऐसा कर दिया है। कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इस मामले में आगे रहा है, जिसने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) को वर्षों के समर्थन के बाद 18 नवंबर, 1988 को औपचारिक रूप से फिलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता दी थी।
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उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे भारत ने आजादी से पहले ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का मुद्दा उठाया था और अल्जीरियाई स्वतंत्रता संग्राम (1954-62) के दौरान, भारत एक स्वतंत्र अल्जीरिया के लिए सबसे मजबूत आवाजों में से एक था। उन्होंने बताया कि 1971 में भारत ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में नरसंहार को रोकने के लिए दृढ़ता से हस्तक्षेप किया, जिससे आधुनिक बांग्लादेश का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि इजराइल-फिलिस्तीन के महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर भी, भारत ने लंबे समय से एक संवेदनशील, लेकिन सैद्धांतिक रुख अपनाया है और शांति और मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया है।
एजेंसी इनपुट के साथ-