हैंडशेक विवाद पर टीम इंडिया को थरूर की नसीहत (फोटो- सोशल मीडिया)
Shashi Tharoor on India vs Pakistan Match Handshake Controversy: एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मैच के बाद खिलाड़ियों के हाथ न मिलाने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। इस बहस में अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल हो गए हैं। थरूर ने भारतीय टीम को खेल भावना की याद दिलाते हुए कहा कि इसे राजनीति और सैन्य संघर्ष से अलग रखना चाहिए। उन्होंने 1999 के करगिल युद्ध की मिसाल देते हुए कहा कि जब सरहद पर जंग चल रही थी, तब भी भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान पर पाकिस्तान से हाथ मिलाया था, जो खेल भावना का सच्चा प्रतीक था।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब एशिया कप के एक मैच के बाद भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और बल्लेबाज शिवम दुबे पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाए बिना ही मैदान से बाहर चले गए। यह घटना पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हुई थी, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस तनावपूर्ण माहौल के बीच हुए मैच के बाद इस घटना ने भी बहस छेड़ दी। इसी बीच, BCCI ने भी एक अन्य मैच में अनुचित व्यवहार के लिए पाकिस्तानी खिलाड़ियों हारिस रऊफ और साहिबजादा फरहान के खिलाफ आईसीसी में शिकायत दर्ज कराई है।
शशि थरूर ने 1999 विश्व कप की घटना को याद करते हुए कहा, “अगर हमें पाकिस्तान से इतनी ही आपत्ति है, तो हमें उनके साथ खेलना ही नहीं चाहिए था। लेकिन जब खेलने का फैसला हो गया, तो खेल भावना का सम्मान करना चाहिए था।” उन्होंने कहा, “1999 में जब करगिल युद्ध चल रहा था और हमारे सैनिक सीमा पर शहीद हो रहे थे, उसी दौरान हम इंग्लैंड में पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप का मैच खेल रहे थे। तब भी हमने उनसे हाथ मिलाए थे क्योंकि खेल का दायरा देशों और सेनाओं के टकराव से अलग होता है।” थरूर ने कहा कि दोनों टीमों की प्रतिक्रिया खेल भावना की कमी को दर्शाती है।
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शशि थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद से लड़ाई को पूरे पाकिस्तान से जोड़ना एक खतरनाक और रणनीतिक भूल है। उन्होंने कहा कि हाथ मिलाने से इनकार करना साहस नहीं, बल्कि असुरक्षा की भावना दिखाता है। सच्ची ताकत प्रतिद्वंद्वी को सम्मान देने में है। उन्होंने कहा, “हमें गैर-राज्य कारकों और पाकिस्तान की आम जनता में फर्क करना होगा। पूरे मुल्क को दुश्मन मान लेना सही नहीं है।” थरूर के अनुसार, भारत एक आत्मविश्वासी लोकतंत्र है और उसके आचरण में यही आत्मविश्वास झलकना चाहिए, न कि असुरक्षा।