सोनम वांगचुक जोधपुर जेल शिफ्ट किया गया (फोटो- सोशल मीडिया)
Sonam Wangchuk Arrest: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे देश भर में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद यह बड़ी कार्रवाई हुई है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। शुक्रवार को उन्हें विशेष विमान से लद्दाख से जोधपुर लाया गया और कड़ी सुरक्षा के बीच सेंट्रल जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया है, जहां उन पर 24 घंटे CCTV से नजर रखी जाएगी।
वांगचुक की गिरफ्तारी उनके गांव उल्याकटोपो से लद्दाख पुलिस की एक टीम ने की, जिसके बाद उन्हें तुरंत जोधपुर भेज दिया गया। इस घटना से एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने उनके संगठन SECMOL का FCRA लाइसेंस भी कथित वित्तीय गड़बड़ियों का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था। लद्दाख प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए लेह जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है और कई प्रमुख शहरों में कर्फ्यू भी लागू है, जिसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर पाबंदी है।
यह पूरा मामला लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग से जुड़ा है। सोनम वांगचुक लंबे समय से इस मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे और हाल ही में 35 दिनों का अनशन भी शुरू किया था। सरकार का आरोप है कि वांगचुक के भाषणों ने लोगों को भड़काया, जिससे 24 सितंबर को हिंसा हुई। वहीं, लेह एपेक्स बॉडी के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुरक्षाबलों ने भीड़ पर सीधे फायरिंग की।
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सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की खबर आते ही राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। उनकी पत्नी गितांजलि अंगमो ने आरोप लगाया कि सरकार झूठी कहानी बना रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण कहा, जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे तानाशाही का चरम बताया। लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा ने भी पुलिस फायरिंग की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग उठाई है।