संचार साथी ऐप पर विपक्ष का हल्ला बोल (फोटो- सोशल मीडिया)
Sanchar Saathi App Controversy: देशभर में साइबर अपराधों पर नकेल कसने के नाम पर सरकार एक नई व्यवस्था लेकर आई है, लेकिन इस पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। दूरसंचार विभाग यानी DoT ने सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों को निर्देश जारी किया है कि वे अब से हर फोन में ‘संचार साथी’ ऐप को पहले से इंस्टॉल करके ही बेचें। सरकार का यह निर्देश सामने आते ही विपक्ष ने इसे निजता पर बड़ा हमला करार दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह फैसला सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की जासूसी के लिए लिया गया है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्ष का आरोप है कि फोन लोगों की बेहद निजी जगह होती है और इसमें जबरन कोई सरकारी ऐप डालना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। नेताओं का कहना है कि सरकार ने अपने आदेश में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि फोन खरीदने के बाद यूजर के पास इस ऐप को डिलीट करने का विकल्प होगा या नहीं, या फिर इसके लिए उनकी मंजूरी ली जाएगी या नहीं। हालांकि सरकार ने इस पर मामला बढ़ते देख स्पष्टीकरण दे दिया है।
समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने इस फैसले पर सबसे तीखा हमला बोला है। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर सरकार आम जनता के फोन में क्या देखना चाहती है। अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि क्या केंद्र सरकार अब उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की निगरानी वाली नीति अपना रही है? वहीं, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसे नागरिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में बिना सहमति के जबरन ऐप इंस्टॉल करने का ऐसा फरमान कभी नहीं सुना गया।
यह भी पढ़ें: ‘गजवा-ए-हिंद का सपना देखने वालों को सीधा 72 हूरों से मिला दो’, मौलाना मदनी पर भड़कीं साध्वी प्राची
विवाद केवल यहीं नहीं थमा। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इस मामले में सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने साफ शब्दों में संचार साथी को एक ‘जासूसी ऐप’ करार दिया है। प्रियंका गांधी ने कहा कि वे इस देश को हर तरह से तानाशाही में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने भी इसे तानाशाही कदम बताते हुए आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। फिलहाल सरकार की तरफ से इस मद्दे को गरमाने के बाद मंत्री सिंधिया ने इस पर कहा कि यह जरूरी नहीं होगा आप इसे डिलीट भी कर सकेंगे।