आरजी कर अस्पताल (सौजन्य : सोशल मीडिया)
कोलकाता: आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ घटी दरिंदगी का मामला पूरे देश में चर्चा का केंद्र रहा। इस घटना के बाद गुस्साए डॉक्टर काफी दिनों तक हड़ताल पर रहें। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टरों ने वापस काम पर आने का फैसला लिया। इसी बीच एक नए मामले ने लोगों का ध्यान आरजी कर की ओर खिंच लाया है।
आरजी कर अस्पताल में एक व्यक्ति की मौत हो गई। जिसके बाद परिवार वालों ने डॉक्टरों पर इलाज में देरी करने का आरोप लगाया। हुगली जिले के कोन्नगर के रहने वाले बिक्रम भट्टाचाजी का शुक्रवार को एक्सीडेंट हो गया। जिसके बाद उन्हें तुरंत आरजी कर में भर्ती कराया गया था। परिवार वालों का कहना है कि उस समय वहां कोई उपलब्ध नहीं था। इलाज में देरी होने के कारण उसकी मौत हो गई।
वहीं इस मामले में अस्पताल के अधिकारियों ने परिवार वालों के आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि घायल को रात 12.40 बजे आरजी कर अस्पताल लाया गया था, जिसके बाद उन्हें तुरंत ट्रॉमा केयर में एडमिट किया गया। उन्होंने बताया कि घायल व्यक्ति के दो अंगों में गंभीर चोट आई थी। साथ ही सिर पर चोट के कारण सीटी स्कैन के लिए ले जाया जा रहा था, इस दौरान बिक्रम को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी। इलाज की तैयारी के दौरान ही बिक्रम की मौत हो गई।
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घटना को लेकर टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा, “कोन्नगर के एक युवा लड़के ने आज सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी। जिसके कारण उसे 3 घंटे तक बिना किसी चिकित्सकीय सहायता के खून बहता रहा, यह आरजी कर घटना के जवाब में डॉक्टरों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का नतीजा है।”
उन्होंने डॉक्टरों के पक्ष को लिखते हुए कहा, “जूनियर डॉक्टरों की मांगें उचित और वैध दोनों हैं, मैं उनसे इस तरह से विरोध करने का आग्रह करता हूं जिससे आवश्यक चिकित्सा सेवाएं बाधित न हों। रोकथाम योग्य लापरवाही के कारण किसी की मृत्यु की अनुमति देना सज़ा-ए-मर्डर के बराबर है। अगर विरोध जारी रखना है तो इसे रचनात्मक तरीके से सहानुभूति और मानवता के साथ किया जाना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि निष्क्रियता या उपेक्षा के कारण किसी और की जान जोखिम में न पड़े।”