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लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में निजी मदरसों (Madrassa) की सर्वेक्षण रिपोर्ट (survey report) मिलने के बाद उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के प्रमुख ने कहा है कि एक बार फिर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद (Dr. Iftikhar Ahmad Javed)ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सर्वेक्षण में गैर मान्यता प्राप्त पाए गए करीब 8500 मदरसों के लिए शासन की अनुमति से मान्यता की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग मदरसा बोर्ड से मान्यता चाहते हैं उन्हें इसके लिए आवेदन करना होगा।” जावेद ने कहा कि मान्यता मिलने से मदरसों के साथ-साथ छात्रों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि तब उन्हें मिलने वाली डिग्री मदरसा बोर्ड उपलब्ध कराएगा, जिनकी व्यापक मान्यता होती है। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में 10 सितंबर से 15 नवंबर तक हुए सर्वेक्षण में 8500 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए थे। इन मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया राज्य सरकार की अनुमति से फिर से शुरू की जाएगी। जो मदरसे बोर्ड से मान्यता लेना चाहते हैं वे इसके लिए आवेदन कर सकेंगे।”
टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश के महासचिव दीवान साहब ज़मां खां ने कहा, ‘‘वर्ष 2017 में राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद मदरसा शिक्षा बोर्ड को भंग कर दिया गया था। उसके बाद अरसे तक बोर्ड में मान्यता समिति का गठन नहीं किया गया। यही वजह रही कि नए मदरसों को मान्यता देने का काम रुका रहा। अगर बोर्ड मदरसों को मान्यता देने का इरादा कर रहा है तो यह स्वागत योग्य है।”
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा निजी मदरसों में छात्र-छात्राओं के लिए बुनियादी सुविधाओं, उन्हें पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम, मदरसों के वित्तीय स्रोतों तथा कई अन्य जानकारियां हासिल करने के लिए इसी साल 10 सितंबर से 15 नवंबर के बीच सर्वेक्षण कराया गया था। राज्य के सभी 75 जिलों में जिलाधिकारियों के माध्यम से सर्वेक्षण रिपोर्ट भेजी गई थी। सर्वेक्षण में पाया गया कि राज्य में 8500 मदरसे बिना मान्यता के संचालित किए जा रहे हैं।
दरअसल, राज्य के बेसिक स्कूलों में नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता है। उसी तरह मदरसों में भी एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की अनिवार्यता के मद्देनजर मदरसों में भी शिक्षक भर्ती के लिए बेसिक स्कूलों जैसी ही अर्हता की व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही है। ताजा सर्वेक्षण के बाद सामने आए आंकड़े के मुताबिक उत्तर प्रदेश में करीब 25 हजार मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। उनमें से 560 को सरकार से अनुदान मिलता है। (एजेंसी)