कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Mohan Bhagwat on PoK: कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम देश में ऐसा माहौल बनाएंगे कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग खुद चिल्लाएंगे, “मैं भी भारत हूं!” और अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने साफ शब्दों में ऐलान कर दिया है कि पीओके वापस लेना ही होगा।
यह सब उसी समय हो रहा है जब मुजफ्फराबाद में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बारह लोग मारे गए हैं, सैकड़ों घायल हुए हैं। जिसके बाद यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जल्द ही युद्धघोष होने वाला है और यह भारत का हिस्सा बनने की कगार पर है।
मोहन भागवत रविवार को मध्य प्रदेश के सतना में सिंधी समुदाय को संबोधित कर रहे थे। वहां बड़ी संख्या में सिंधी भाई इकट्ठा हुए थे, जो 1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने के बजाय भारत में बस गए थे। भागवत ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि कई सिंधी भाई यहां बैठे हैं। वे पाकिस्तान नहीं गए और अविभाजित भारत में आए।”
उन्होंने कहा कि परिस्थितियों ने हम सभी को यहां तक पहुंचाया है, लेकिन वह घर और यह घर अलग नहीं हैं। पूरा भारत एक ही घर है। लेकिन हमारे घर का एक कमरा, जहां हमारी मेज, कुर्सी और कपड़े रखे रहते थे, किसी ने हड़प लिया है। अब वह किसी अजनबी के कब्जे में है। कल मुझे उसे वापस लेना ही पड़ेगा। यह सुनकर तालियां बज उठीं। लोग ऐसे चिल्लाने लगे मानो पुराना हिसाब चुकता करने का समय आ गया हो।
भागवत का यह बयान कोई नया नहीं है। वे हमेशा अखंड भारत की बात करते रहे हैं। लेकिन अब जब पीओके जल रहा है। मुजफ्फराबाद, रावलकोट और ददयाल जैसे इलाकों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। पाकिस्तानी सेना पर पथराव, आंसू गैस और गोलीबारी हो रही है। कई पुलिसकर्मी मारे गए हैं। तब यह बयान महत्वपूर्ण हो जाता है।
इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व संयुक्त आवामी एक्शन कमेटी (JAAC) कर रही है। उनकी 38 मांगें हैं। बिजली के बिल कम करें, खाने-पीने की कमी दूर करें और पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित शरणार्थी सीटों को खत्म करें। इसके अलावा, पीओके के संसाधनों को लूटने के आरोप भी लग रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि पानी, बिजली और जंगल सब पाकिस्तान चले जाते हैं, जिससे स्थानीय लोगों के पास कुछ भी नहीं बचता।
पीओके में यह अशांति भारत के लिए एक बड़ा संकेत है। लोग पाकिस्तान के इस झूठे प्रचार से तंग आ चुके हैं कि “कश्मीर हमारा है।” सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं। हज़ारों लोग कंटेनर उखाड़ रहे हैं और पुलों पर चढ़ रहे हैं और नारे लगा रहे हैं, “कश्मीर हमारा है, हम इसका भविष्य तय करेंगे।” मुजफ्फराबाद में पांच दिनों से बंद जारी है, जिससे परिवहन ठप है और इंटरनेट सेवा ठप है।
पीओके में हो रहा प्रदर्शन (सोर्स- सोशल मीडिया)
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने एक उच्च-स्तरीय समिति भेजी, लेकिन गोलीबारी नहीं रुकी। शनिवार को सरकार आखिरकार झुकी। समझौते पर हस्ताक्षर हुए। मारे गए लोगों को मुआवजा देने, बिजली व्यवस्था के लिए 10 अरब पाकिस्तानी रुपये देने, मिर्ज़ापुर में हवाई अड्डा बनाने और करों में राहत देने के वादे किए गए। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान इन वादों को कभी पूरा नहीं करेगा, और आग और भड़केगी।
इससे पहले सितंबर में राजनाथ सिंह ने मोरक्को में प्रवासी भारतीयों से कहा था, “पीओके के लोग हमारे अपने हैं। एक दिन वे कहेंगे, ‘मैं भी भारत हूं’, और हमें हमला करने की जरूरत नहीं है; वे खुद ही लौट जाएंगे।” मई में हुए सीआईआई शिखर सम्मेलन में भी उन्होंने कहा था, “पीओके के लोग हमारा परिवार हैं, महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह की तरह। ज्यादातर लोग भारत से जुड़ाव महसूस करते हैं, बस कुछ भटक गए हैं।”
विशेषज्ञों का कहना है कि जब से भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया है, पीओके में यह आंदोलन तेज हो गया है। लोग देख रहे हैं कि भारत तरक्की कर रहा है। अर्थव्यवस्था चौथे नंबर पर है, और मेक इन इंडिया की रक्षा नीति मजबूत है। जबकि पाकिस्तान में महंगाई, बेरोज़गारी और आतंकवाद का बोलबाला है। पीओके के लोग सोच रहे होंगे, ‘पाकिस्तान ने हमें गुलाम बनाया, भारत हमें आज़ादी देगा।’ यहीं से सारा खेल पलट जाता है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया कठोर रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 3 अक्टूबर को कहा, “पाकिस्तान का दमनकारी रवैया और पीओके में संसाधनों की लूट इन विरोध प्रदर्शनों की जड़ है। यह उनके मानवाधिकारों के नाटक को उजागर करता है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि पीओके हमारे देश का अभिन्न अंग है।”
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1947 के विभाजन के दौरान, पाकिस्तान ने कबायली लुटेरों को भेजकर उस पर कब्जा कर लिया था। संसद ने पीओके की वापसी की मांग करते हुए दो प्रस्ताव पारित किए। अब ये विरोध प्रदर्शन उसी ओर इशारा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पाकिस्तान के झूठे प्रचार का पर्दाफाश करता है। दशकों तक उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में लोग खुश हैं, लेकिन अब पीओके के लोग खुद ही रो रहे हैं।