कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (फोटो- सोशल मीडिया)
Rahul Gandhi on tribal land dispute: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भाजपा पर आदिवासियों और बहुजनों के अधिकार छीनने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा मतदाता सूची से दलितों और पिछड़ों के नाम हटाने के साथ-साथ आदिवासियों के वन अधिकार पट्टे भी गायब कर रही है। राहुल ने छत्तीसगढ़ के बस्तर और राजनांदगांव जिलों में हजारों पट्टों के सरकारी रिकॉर्ड से गायब होने का मुद्दा उठाया और इसे आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर सीधा हमला बताया।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि भाजपा ने ‘कागज मिटाओ-अधिकार चुराओ’ को बहुजनों के खिलाफ अत्याचार का नया हथियार बना लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वन अधिकार कानून बनाकर आदिवासियों के अधिकार सुरक्षित किए थे, लेकिन भाजपा इसे कमजोर कर रही है। राहुल ने आदिवासियों को देश का पहला मालिक बताते हुए वादा किया कि कांग्रेस उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।
“काग़ज़ मिटाओ, अधिकार चुराओ” – बहुजनों के दमन के लिए भाजपा ने यह नया हथियार बना लिया है।
कहीं वोटर लिस्ट से दलितों, पिछड़ों के नाम कटा देते हैं, तो कहीं आदिवासियों के वन अधिकार पट्टों को ही ‘गायब’ करवा देते हैं।
बस्तर में 2,788 और राजनांदगांव में आधे से ज़्यादा – छत्तीसगढ़ में… pic.twitter.com/XzsGiGlsRc
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 14, 2025
राहुल गांधी ने याद दिलाया कि 2006 में कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम लागू किया था, जिससे वनों में रहने वाले आदिवासियों और पारंपरिक समुदायों को कानूनी तौर पर जमीन और संसाधनों पर मालिकाना हक मिला। उनका कहना है कि भाजपा सरकार इस कानून को कमजोर कर, आदिवासियों को उनके ऐतिहासिक अधिकारों से वंचित कर रही है। उन्होंने इसे ब्रिटिश शासन में हुए अन्याय को दोहाराने जैसा बताया।
राहुल गांधी ने जिन मामलों का हवाला दिया, उनमें बस्तर जिले में 2,788 और राजनांदगांव में आधे से अधिक वन अधिकार पट्टे अचानक रिकॉर्ड से गायब हो गए। उनका कहना है कि यह सिर्फ दस्तावेजों की गलती नहीं है बल्कि एक पूरी प्लानिंग के साथ प्रयास है ताकि आदिवासी समुदाय अपने कानूनी अधिकार खो दें। राहुल ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस की मांग की और आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा को लोकतंत्र की बुनियाद बताया।
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उन्होंने कहा कि कहीं वोटर लिस्ट से दलितों, पिछड़ों के नाम कटा देते हैं, तो फिर कहीं पर आदिवासियों के वन अधिकार पट्टों को ही गायब कर दिया जाता है। छत्तीसगढ़ में इस तरह के हजारों वन अधिकार पट्टों का रिकॉर्ड अचानक लापता कर दिया गया है।