प्रधानमंत्री मोदी जल संचय जन भागीदारी योजना की शुभारंभ कार्यक्रम दौरान संबोधित करते हुए
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से ‘जल संचय जन भागीदारी’ योजना पहल की शुरुआत की। उन्होंने शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज का ये कार्यक्रम गुजरात की उस धरती पर प्रारंभ हो रहा है। जहां जन-जन तक पानी पहुंचाने और बचाने की दिशा में कई सफल प्रयोग हुए हैं। दो-ढाई दशक पहले सौराष्ट्र के क्या हालात थे हमें याद है, उत्तर गुजरात की क्या दशा थी हमें पता है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि सरकारों में जल-संचयन को लेकर जिस विजन की आवश्यकता होती है, पहले के समय में उसकी भी कमी थी। तभी मेरा संकल्प था कि मैं दुनिया को बताकर रहूंगा कि जल-संकट का भी समाधान हो सकता है,जहां पानी की अधिकता थी वहां से पानी जल संकट वाले इलाकों में पहुंचाया गया।
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पीएम मोदी ने आगे कहा कि विपक्ष के लोग तब हमारा मजाक उड़ाते थे कि पानी के जो पाइप बिछाए जा रहे हैं उसमें से हवा निकलेगी। गुजरात की सफलता, गुजरात के मेरे अनुभव मुझे ये भरोसा दिलाते हैं कि हम देश को जल-संकट से निजात दिला सकते हैं। कहा कि आज जब पर्यावरण और जल संरक्षण की बात आती है तो कई सच्चाईयों का हमेशा ध्यान रखना है।
भारत में जनभागीदारी और जनआंदोलन से जल संरक्षण और प्रकृति संरक्षण का अनूठा अभियान चल रहा है। आज गुजरात के सूरत में ‘जल संचय जनभागीदारी पहल’ का शुभारंभ कर अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है।https://t.co/Qg27AbPj1f
— Narendra Modi (@narendramodi) September 6, 2024
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया के कुल ताजे पानी का केवल 4% ही है, कितनी ही विशाल नदियां भारत में हैं लेकिन हमारे एक बड़े भू-भाग को पानी की कमी से जूझना पड़ रहा है। कई जगहों पर पानी का स्तर लगातार गिर रहा है। जलवायु परिवर्तन इस संकट को और गहरा रहा है। इस सबके बावजूद ये भारत ही है जो अपने साथ-साथ पूरे विश्व के लिए इन चुनौतियों का समाधान खोज सकता है।
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पीएम मोदी बोले हम उस संस्कृति के लोग हैं जहां जल को ईश्वर का रूप कहा गया है, नदियों को देवी माना गया है, सरोवरों, कुंडों को देवालय का दर्जा मिला है। ये रिश्ता हजारों वर्षों का है। हजारों वर्ष पहले भी हमारे पूर्वजों को जल और जल-संरक्षण का महत्व पता था, जिस राष्ट्र का चिंतन इतना दूरदर्शी और व्यापक रहा हो, जल संकट त्रासदी का हल खोजने के लिए उसे दुनिया में सबसे आगे खड़ा होना ही होगा।