पीएम मोदी, तरनजीत सिंह संधू, एस जयशंकर (फोटो- सोशल मीडिया)
India-US Tariff Dispute News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अमेरिका में पूर्व भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ अहम बैठक की। यह बैठक अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर हुई, जिसे लेकर भारत रणनीति तैयार कर रहा है।
संधू को अमेरिका में काम करने का व्यापक अनुभव है और वे वाशिंगटन डीसी की राजनीतिक गतिविधियों से भली-भांति परिचित हैं। ऐसे में उनकी मौजूदगी इस चर्चा को विशेष महत्व देती है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के जवाब में एक ठोस रणनीति पर विचार कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 से भारत सहित कई देशों पर नया टैरिफ लागू किया है, जिसमें 10% बेसलाइन टैरिफ और 26% कस्टमाइज्ड रेसिप्रोकल टैरिफ शामिल हैं। ट्रंप ने इसे ‘लिबरेशन डे’ उपाय बताते हुए कहा कि यह अमेरिका के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए आवश्यक था। भारत, जो 2023 में अमेरिका के साथ लगभग 190 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार कर रहा था, इस नीति से काफी प्रभावित हुआ है। भारत का व्यापार घाटा अमेरिका के पक्ष में करीब 45 बिलियन डॉलर है, जिसे लेकर ट्रंप पहले भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
ट्रंप प्रशासन की सख्त टैरिफ नीति के जवाब में भारत ने नरम रुख अपनाते हुए बोरबॉन व्हिस्की, वाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैरिफ कम कर दिए ताकि अमेरिका को सकारात्मक संकेत दिया जा सके। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने इस कदम को अपर्याप्त बताया और भारत पर पहले से लगे 25 प्रतिशत टैरिफ के अलावा अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ और लगा दिए। यह अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के कारण लगाया गया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ गया है।
तरनजीत सिंह संधू भारत के पूर्व राजनयिक है जिनके पास 35 साल के अभी का अनुभव है। उन्होंने अपने कार्यकाल का लंबा समय अमेरिका में बिताया है। संधू ने जुलाई 2013 से जनवरी 2017 तक वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में मिशन के उप-प्रमुख के रूप में कार्य किया। इससे पहले, वे 1997 से 2000 तक उसी दूतावास में प्रथम सचिव (राजनीतिक) के पद पर नियुक्त थे, जहाँ वे अमेरिकी कांग्रेस के साथ संपर्क बनाए रखने की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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संधू जुलाई 2005 से फरवरी 2009 तक न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में भी सेवा दे चुके हैं। जनवरी 2017 से जनवरी 2020 तक उन्होंने श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया। इससे पूर्व, वे दिसंबर 2000 से सितंबर 2004 तक कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग में राजनीतिक विंग के प्रमुख रहे थे। इसके अतिरिक्त, वे सितंबर 2011 से जुलाई 2013 तक फ्रैंकफर्ट में भारत के महावाणिज्यदूत के रूप में भी कार्यरत थे।