भारतीय ट्रेन। इमेज-सोशल मीडिया
Trains Running Time: भारतीय रेल ने 8-14 दिसंबर के बीच ट्रेनों के समय पर चलने का दावा किया है। इसमें कहा गया कि 80% ट्रेनें तय समय पर चली हैं। रेल मंत्रालय ने यह आंकड़े जारी किए हैं। मंत्रालय ने इसमें कहा है कि रेलवे ने इस अवधि के बीच देश भर में ट्रेनों की समयपालन में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है। वैसे, इस दावे पर सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने असहमति जताई है। उन्होंने रेलवे की सेवाओं पर सवाल उठाए हैं। लोग अपनी व्यक्तिगत अनुभवों के जरिए यह बताने लगे कि रेलवे के दावे हकीकत से दूर हैं। वास्तविकता में कई ट्रेनें विलंब से चल रही हैं।
रेलवे के अनुसार इस अवधि में 22 मंडलों ने 90% से अधिक पंक्चुअलिटी हासिल की। कुछ अग्रणी डिवीजनों में यह आंकड़ा 96% से ऊपर रहा। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि बेहतर परिचालन प्रबंधन, रियल टाइम मॉनिटरिंग और समन्वित प्रयासों के कारण ट्रेन सेवाओं की विश्वसनीयता बढ़ी है। यात्रियों को अधिक सुगम यात्रा अनुभव मिला है। रेलवे का दावा है कि इस सुधार से न केवल देरी में कमी आई, बल्कि नेटवर्क पर ट्रेनों का संचालन भी पहले की तुलना में अधिक सुचारू हुआ है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर ने रेलवे के इस दावे पर अपनी प्रतिक्रिया लिखी-वह टाइम पर आना असली नहीं है। यह सिर्फ कागज पर मैनेज किया जाता है। कोई भी ट्रेन चुनें और टाइमटेबल देखें। दूसरे यूजर ने लिखा- आखिरी स्टॉप और आखिरी स्टेशन के बीच यात्रा का समय देखें। वे चुपचाप एक घंटा एक्स्ट्रा जोड़ देते हैं, इसलिए भले ही ट्रेन पिछले स्टेशनों पर घंटों लेट चल रही हो, यह बफर टाइम देरी को एडजस्ट कर लेता है। कागज पर ट्रेन टाइम पर पहुंचती है, लेकिन असल में वह कहीं टाइम पर नहीं होती। स्मार्ट चाल। नकली नंबरों के लिए बधाई।
Indian Railways achieved 80% punctuality nationwide from 8–14 December, as 22 divisions surpassed 90% and leading divisions crossed 96%, improving reliability and smoother train operations. pic.twitter.com/hHunCZr53j — Ministry of Railways (@RailMinIndia) December 21, 2025
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कई यूजर्स ने ट्रेन नंबर के साथ देरी के घंटों का स्क्रीनशॉट भी पोस्ट किया। वैसे, कुछ यूजर्स ने कोहरे के मौसम में ट्रेनों के देरी से चलने को लेकर सुरक्षा के लिहाज से सहमति जताई। उनका कहना था कि कोहरे को देखते हुए सुरक्षित मंजिल तक पहुंचना ज्यादा जरूरी है। आदित्य नाम के एक यूजर ने लिखा-गिट्टी की गहरी और उथली स्क्रीनिंग जैसे ट्रैक का रखरखाव सर्दियों में होता है। इससे ट्रेनों की आवाजाही में रुकावट आती है। बारिश में यह संभव नहीं है, इसलिए यह भी एक कारण है। कोहरे और कम विजिबिलिटी के कारण भी ट्रेनों की भीड़ हो जाती है, जिससे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ट्रैक पर देरी होती है।