मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और राहुल गांधी, फोटो: सोशल मीडिया
Impeachment Motion against CEC: हाल ही में राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोप और बिहार में एसआईआर को लेकर लगातार विरोध के बीच चुनाव आयोग ने को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। लोकसभा चुनाव के बाद ‘वोट चोरी’ के आरोपों और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासत गरमा गई है। अब इस मुद्दे ने एक नया मोड़ ले लिया है।
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दल मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि “देश में लोकतंत्र नहीं, बल्कि वोटों की चोरी चल रही है”। राहुल ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर सवाल उठाए, जिसमें लाखों नामों को हटाने की प्रक्रिया की शुरुआत की गई है। राहुल गांधी ने इस पूरी प्रक्रिया को एक “सुनियोजित साजिश” करार दिया है।
इस बीच, चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है और इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। आयोग ने कहा कि किसी भी मतदाता का नाम हटाने से पहले पूरी जांच और नोटिस की प्रक्रिया अपनाई जाती है। लेकिन विपक्ष आयोग की सफाई से संतुष्ट नहीं है।
इंडिया गठबंधन के सूत्रों का कहना है कि यह केवल तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद से जुड़ा सवाल है। कुछ दलों ने संसद के मानसून सत्र में CEC के खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव पेश करने की संभावना जताई है। हालांकि, संविधान के मुताबिक, महाभियोग लाने के लिए दोनों सदनों में विशेष बहुमत जरूरी होता है, जो विपक्ष के लिए फिलहाल मुश्किल लग रहा है।
यह भी पढ़ें: उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज, एनडीए ने राधाकृष्णन को बनाया उम्मीदवार, विपक्ष की बैठक आज
राहुल गांधी ने कहा था कि यदि चुनाव आयोग की निष्पक्षता ही संदिग्ध हो जाए तो लोकतंत्र बचाना बेहद कठिन हो जाता है। उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि अगर ECI अपने कर्तव्यों का पालन निष्पक्ष रूप से नहीं कर सकता तो उसके प्रमुख के खिलाफ संवैधानिक कार्रवाई जरूरी होनी चाहिए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर चुनावी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करना चाहता है। वहीं, बीजेपी ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश है।