
एस-400। इमेज-सोशल मीडिया
India-Russia Defense Deal: दुनिया का सबसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ट्रायम्फ को रूस और मजबूत बनाने की योजना बना रहा है। यूक्रेन युद्ध में इसके इस्तेमाल से मिली सीखों को अपनाकर रूस इसे नई चुनौतियों के खिलाफ बनाने पर काम कर रहा है।
यह अपग्रेडेशन रूस की सेना के साथ-साथ भारत समेत अन्य खरीदार देशों के लिए खुशखबरी है। साल 2018 में भारत ने 5.43 अरब डॉलर में पांच S-400 स्क्वाड्रन खरीदे थे। इनमें से 3 तैनात हैं। बाकी 2 अगले साल मिलने की उम्मीद है।
S-400 एक मोबाइल सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम है। जो दुश्मन के विमान, मिसाइल, ड्रोन और हाइपरसोनिक हथियारों को 400 किलोमीटर दूर से नष्ट कर सकता है। यह 600 किलोमीटर तक टारगेट को डिटेक्ट कर सकता है। खासियत यह है कि यह एक साथ 80 टारगेट ट्रैक कर और 36 को एक साथ मार गिरा सकता है। भारत में इसे सुदर्शन चक्र नाम दिया गया है। यह सिस्टम अमेरिकी पैट्रियट या इजरायली आयरन डोम से ज्यादा एडवांस्ड माना जाता है। रूस का दावा है, कोई विदेशी सिस्टम अब तक इसके मुकाबले नहीं टिक पाया।
यूक्रेन युद्ध (जिसे रूस स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन कहता है) में S-400 ने कमाल कर दिखाया। रूस की सेना ने इसे अमेरिकी ATACMS मिसाइलों और यूक्रेनी ड्रोन हमलों को रोकने के लिए उपयोग में लाया। अगस्त 2025 से इसकी प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है। नवंबर में रूसी सीमा पर ATACMS हमलों को रोक दिया। युद्ध ने कमजोरियां सामने ला दीं। यूक्रेन ने ड्रोन और क्रूज मिसाइलों से कई S-400 रडार और लॉन्चर नष्ट किए। इससे रूस को एहसास हुआ कि सिस्टम को जैमिंग और लो-फ्लाइंग थ्रेट्स के खिलाफ मजबूत बनाना होगा। युद्ध से मिली सीखों से S-400 को नई क्षमताएं दी जा रहीं, जो एयर डिफेंस सिस्टम में आमतौर पर नहीं होतीं।
अल्माज-एंटे ग्रुप के सीईओ यान नोविकोव ने हाल में कहा है कि तकनीकी क्रांति की रफ्तार से नई चुनौतियों का तुरंत जवाब दे सकते हैं। S-400 का अपग्रेड पोटेंशियल इतना बड़ा है कि हम युद्ध के दौरान उभरती धमकियों को खत्म कर सकते हैं।
बेहतर रडार: एंटी जैमिंग तकनीक मजबूत। ड्रोन और लो-लेवल मिसाइलों को बेहतर डिटेक्ट करने की क्षमता।
नई मिसाइलें: लंबी रेंज वाली 40N6 मिसाइलें, जो 400 किमी से ज्यादा दूर टारगेट गिरा सकें।
नेटवर्किंग: एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम से बेहतर कनेक्शन, ताकि ज्यादा टारगेट एक साथ हैंडल हो।
मोबिलिटी: सिस्टम को जल्दी मूव और छिपाने की सुविधा। ताकि दुश्मन इसे आसानी से निशाना न बना सके। ये बदलाव S-400 को अजेय बना देंगे। रूस के अनुसार यह अपग्रेड एक्सपोर्ट के लिए भी फायदेमंद होगा।
यह अपग्रेड भारत के लिए तोहफा होगा। 2018 के सौदे के तहत भारत को 5 स्क्वाड्रन मिलने हैं। 3 आ चुके हैं। मई में हुए Operation Sindoor ने S-400 की ताकत साबित कर दी। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकी कैंपों पर हमले किए। 7-10 मई की तक हुई इस जंग में S-400 ने चमत्कार किया। 300 किमी दूर पाकिस्तानी JF-17 फाइटर जेट, F-16 और एक AWACS (SAAB-2000 एरेये) विमान को गिराया। पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को 15 भारतीय शहरों पर हमलों से रोका है। लाहौर में चीनी LY-80 सिस्टम और कराची में HQ-9 को नष्ट कर दिया।
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भारतीय वायु सेना के चीफ एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा सरफेस-टू-एयर किल रिकॉर्ड है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने और S-400 खरीदने का फैसला किया। हाल में पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात में 5 और स्क्वाड्रन और 10,000 करोड़ रुपये की मिसाइल डील पर बात हुई। साथ ही S-500 (S-400 का अपग्रेड वर्जन) खरीदने की चर्चा है। रूस ने आश्वासत किया है कि यूक्रेन युद्ध के बावजूद बाकी डिलीवरी 2026 तक होगी। भारत S-400 को Akash, Spyder और MRSAM से जोड़ लेयर्ड डिफेंस बना रहा है।
S-400 का दाम और रखरखाव महंगा है। अमेरिका ने CAATSA सैंक्शंस की धमकी दी थी, जिसे भारत ने नजरअंदाज किया है। यूक्रेन युद्ध ने दिखाया कि कोई सिस्टम परफेक्ट नहीं है। यूक्रेन ने कई S-400 नष्ट किए। मगर, अपग्रेड से यह कमजोरी दूर हो सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह अपग्रेड भारत-पाक और भारत-चीन बॉर्डर पर गेम-चेंजर बनेगा। रूस ने दावा किया है कि S-400 असामान्य क्षमताओं वाला हो गया है। भारत को अपग्रेड वर्जन मिला तो हमारी एयर डिफेंस प्रणाली दुनिया की सबसे मजबूत हो जाएगी।






