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UGC के मसौदा दिशानिर्देश पर शिक्षा मंत्रालय ने कहा- किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जा सकता

  • By किर्तेश ढोबले
Updated On: Jan 28, 2024 | 10:37 PM
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नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने रविवार को स्पष्ट किया कि किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जा सकता। मंत्रालय का यह स्पष्टीकरण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के एक मसौदा दिशानिर्देशों के बाद आया है, जिसमें प्रस्ताव किया गया था कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में अनारक्षित घोषित की जा सकती हैं।

‘उच्च शिक्षा संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश’ हितधारकों की आपत्ति और सुझाव के लिए जारी किये गये हैं। मसौदा दिशानिर्देशों को आलोचना का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उच्च शिक्षा संस्थानों में पदों पर एससी, एसटी और ओबीसी को दिए गए आरक्षण को समाप्त करने की “साजिश” की जा रही और (नरेन्द्र) मोदी सरकार दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के मुद्दों पर केवल “प्रतीक की राजनीति” कर रही है।

जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने इस मुद्दे पर यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार के खिलाफ सोमवार को विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। कुमार ने भी स्पष्ट किया कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (सीईआई) में आरक्षित श्रेणी के पद का आरक्षण रद्द नहीं किया गया है और ऐसा कोई आरक्षण समाप्त नहीं किया जाने वाला है। शिक्षा मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (शिक्षकों के संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार शिक्षक संवर्ग में सीधी भर्ती के सभी पदों के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान किया जाता है।”

शिक्षा मंत्रालय ने कहा, “इस अधिनियम के लागू होने के बाद, किसी भी आरक्षित पद का आरक्षण समाप्त नहीं किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने सभी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (सीईआई) को 2019 अधिनियम के अनुसार रिक्तियों को भरने के निर्देश दिए हैं।” यूजीसी अध्यक्ष ने भी पोस्ट किया, “यह स्पष्ट किया जाता है कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई आरक्षण समाप्त नहीं हुआ है और ऐसे कोई आरक्षण समाप्त नहीं होने जा रहा है।”

उन्होंने कहा, ‘‘सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आरक्षित श्रेणी के सभी पूर्व में रिक्त पद (बैकलॉग) ठोस प्रयासों से भरे जाएं।” विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नये मसौदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘‘अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित रिक्ति को एससी या एसटी या ओबीसी अभ्यर्थी के अलावा किसी अन्य अभ्यर्थी द्वारा नहीं भरा जा सकता है।” इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, एक आरक्षित रिक्ति को अनारक्षित करने की प्रक्रिया का पालन करके अनारक्षित घोषित किया जा सकता है, जिसके बाद इसे अनारक्षित रिक्ति के रूप में भरा जा सकता है।”

इसमें कहा गया है, ‘‘सीधी भर्ती के मामले में आरक्षित रिक्तियों को अनारक्षित घोषित करने पर प्रतिबंध है। हालांकि समूह ‘ए’ सेवा में जब कोई रिक्ति सार्वजनिक हित में खाली नहीं छोड़ी जा सकती, ऐसे में इस तरह के दुर्लभ और असाधारण मामलों में संबंधित विश्वविद्यालय रिक्ति के आरक्षण को रद्द करने का प्रस्ताव तैयार कर सकता है। प्रस्ताव में पद भरने के लिए किये गए प्रयास सूचीबद्ध करने होंगे, रिक्ति को क्यों खाली नहीं रखा जा सकता, इसका कारण बताना होगा और आरक्षण रद्द करने का औचित्य क्या है, यह भी बताना होगा।”

मसौदा दिशानिर्देश में कहा गया है, ‘‘ग्रुप ‘सी’ या ‘डी’ के मामले में आरक्षण समाप्त करने का प्रस्ताव विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद को भेजा जाना चाहिए और समूह ‘ए’ या ‘बी’ के मामले में प्रस्ताव आवश्यक अनुमोदन के लिए पूर्ण विवरण के साथ शिक्षा मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। मंजूरी मिलने के बाद पद भरा जा सकता है और आरक्षण को आगे बढ़ाया जा सकता है।” पदोन्नति के मामले में, यदि आरक्षित रिक्तियों के लिए पदोन्नति के लिए पर्याप्त संख्या में एससी और एसटी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो ऐसी रिक्तियों को अनारक्षित करके अन्य समुदायों के अभ्यर्थियों द्वारा भरा जा सकता है। यदि कुछ शर्तें पूरी होती हैं तो ऐसे मामलों में आरक्षित रिक्तियों के आरक्षण को मंजूरी देने की शक्ति यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी।

उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षित पदों को भरने पर यूजीसी के मसौदा दिशानिर्देशों की आलोचना के बीच, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने रविवार को कहा कि विश्वविद्यालय में कोई भी पद “अनारक्षित” नहीं किया गया है।   

पंडित ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जेएनयू की कुलपति के रूप में मैं सभी हितधारकों से कहना चाहती हूं कि जेएनयू में कोई भी पद अनारक्षित नहीं किया गया है। हमें आरक्षित श्रेणी के तहत बहुत अच्छे अभ्यर्थी मिले हैं।”  बयान में उल्लेख किया गया है कि जेएनयू केंद्र द्वारा निर्धारित आरक्षण नीति का पालन करता है और उसके पास एक मौजूदा कार्यालय ज्ञापन है जिसमें कहा गया है कि एससी, एसटी या ओबीसी के लिए किसी भी श्रेणी की रिक्तियों के लिए आरक्षण समाप्त करने की अनुमति नहीं है।

(एजेंसी)

On the draft guidelines of ugc the education ministry no reserved post can be unreserved

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Published On: Jan 28, 2024 | 10:37 PM

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