कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार यानी 2 अप्रैल को संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने की पूरी तैयारी कर ली है। इसको लेकर भाजपा ने भी अपने सभी सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। भाजपा का अनुसरण करते हुए नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है।
वक्फ विधेयक पर राजनीति भी चरम पर है। विपक्षी सांसद रणनीतिक चालें चल रहे हैं और इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के साथ लामबंद विपक्षी नेता इस मुद्दे पर एनडीए के सहयोगी दल जदयू और टीडीपी को भड़काना चाहते हैं। लेकिन इस बीच टीडीपी और जदयू ने अपनी सहमति दे दी है। दोनों ने व्हिप जारी किया है।
उधर, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया कि विधेयक के पक्ष में न सिर्फ एनडीए एकजुट है, बल्कि विपक्षी भारत गठबंधन के कई सांसदों ने भी इसका समर्थन किया है। रिजिजू ने कहा कि कई विपक्षी सासंदों ने विधेयक को जल्द लाने की मांग की है।
वहीं, वक्फ बिल को लेकर गठित जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने भी चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाईटेड के समर्थन की पुष्टि की है। इससे पहले ख़बरें थी की जेडीयू और टीडीपी वक्फ बिल के पक्ष में नहीं हैं। पाल ने यह भी कहा कि विपक्ष के पास बिल का विरोध करने के लिए कुछ भी नहीं है।
जदयू के ललन सिंह ने कहा था कि हम संसद में इस बिल पर अपना रुख साफ करेंगे। वहीं, संजय झा ने एक बयान में कहा कि नीतीश कुमार की राजनीति जब तक है तब तक लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी। इन दोनों नेताओं के बयान को भी केन्द्र की मोदी सरकार को इशारा माना गया। जिसके बाद कयास थे कि दोनों ही पार्टियों के सांसद बिल के खिलाफ वोट कर सकते हैं।
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जेडीयू के 12 और टीडीपी के 16 सांसद बिल के पक्ष या विपक्ष में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। दोनों ही पार्टियां अपने-अपने राज्यों में मुस्लिम वोटों पर भी निर्भर हैं, जिसके चलते वे सतर्कता बरत रही हैं। ये पार्टियां सरकार के साथ रहेंगी या मुस्लिम भावनाओं को तरजीह देंगी, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।