आईआईटी मद्रास, फोटो- सोशल मीडिया
National Institutional Ranking Framework Ranking: राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क में एक ओर जहां आईआईटी मद्रास ने एक बार फिर ओवरऑल और इंजीनियरिंग कैटेगरी में पहला स्थान हासिल कर अपनी बादशाहत कायम रखी है, वहीं दूसरी ओर पहली बार ‘सतत विकास लक्ष्य’ (SDG) आधारित मूल्यांकन को भी रैंकिंग का हिस्सा बनाया गया है। इस बार इस रैंकिंग सिस्टम में काफी कुछ खास है।
शिक्षा मंत्रालय ने यह रैंकिंग 17 अलग-अलग श्रेणियों में जारी की है, जिसमें शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, शिक्षण व्यवस्था और सामाजिक प्रभाव के अलावा इस बार पर्यावरणीय और सामाजिक सततता से जुड़े पहलुओं को भी जोड़ा गया है।
पहले देखिए शीर्ष 10 संस्थानों की सूची (ओवरऑल कैटेगरी)
क्रमांक
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संस्थान का नाम
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स्थान
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1
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आईआईटी मद्रास
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चेन्नई
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2
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इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc)
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बेंगलुरु
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3
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आईआईटी बॉम्बे
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बॉम्बे
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4
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आईआईटी दिल्ली
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दिल्ली
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5
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आईआईटी कानपुर
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कानपुर
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6
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आईआईटी खड़गपुर
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खड़गपुर
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7
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आईआईटी रुड़की
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रुड़की
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8
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एम्स
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दिल्ली
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9
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जेएनयू
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नई दिल्ली
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10
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बीएचयू
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वाराणसी
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2024 की तुलना में इस साल की टॉप 10 सूची में अधिकतर संस्थानों ने अपनी पुरानी स्थिति बनाए रखी है। हालांकि एम्स दिल्ली और आईआईटी रुड़की की रैंकिंग में हल्का बदलाव देखा गया है। पिछले वर्ष एम्स सातवें स्थान पर था और रुड़की आठवें पर, जो इस बार उलट गया है। वहीं जेएनयू, जो पिछले साल दसवें स्थान पर था, इस बार नौवें पायदान पर पहुंच गया है।
NIRF के इस 10वें संस्करण में पहली बार ‘सतत विकास लक्ष्य’ यानी SDG आधारित मूल्यांकन को शामिल किया गया है। इसके तहत संस्थानों के पर्यावरणीय प्रभाव, ऊर्जा खपत, कार्बन उत्सर्जन, वेस्ट मैनेजमेंट, और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे पहलुओं को मापा गया है। यानी कि अब संस्थानों को सिर्फ पढ़ाई और रिसर्च के आधार पर नहीं, बल्कि इस बात पर भी आंका जा रहा है कि वे पर्यावरण और समाज के प्रति कितने उत्तरदायी हैं।
The Indian Institute of Technology (IIT) Madras has once again clinched the top position in the National Institutional Ranking Framework (NIRF) 2025 pic.twitter.com/56bmIfMAaF
— ANI (@ANI) September 4, 2025
2025 की रैंकिंग में एक और बड़ा बदलाव किया गया है। अब जिन संस्थानों के शोध कार्य (रिसर्च पब्लिकेशंस) किसी गलती या अनैतिकता के कारण वापस लिए गए हैं (रिट्रैक्ट हुए हैं), उन्हें ‘रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस’ श्रेणी में निगेटिव मार्क मिलेंगे। हालांकि इस बार यह कटौती सीमित स्तर पर की गई है, लेकिन मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले वर्षों में यह नियम और कड़ा किया जाएगा।
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हर साल की तरह इस साल भी NIRF रैंकिंग को छात्रों, शिक्षकों और नीति-निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशक माना जा रहा है। इसके माध्यम से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता का आंकलन होता है, बल्कि संस्थानों की समाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों की भी पड़ताल की जाती है।