संदर्भित चित्र (डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल 2025 कल यानी बुधवार को लोकसभा में पेश होने वाला है। एनडीए इस बिल को पास कराने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है तो दूसरी तरफ विपक्ष हर हाल में इसे रोकने के लिए लामबंद हो रहा है। वहीं, एनडीए की सहयोगी जेडीयू और टीडीपी ने अभी भी अपने पत्ते पूरी तरह से नहीं खोले हैं। जिसके चलते सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की धड़कनें बढ़ गई हैं।
संसदीय कार्य मंत्री और बीजेपी नेता किरेन रिजिजू ने सांसदों से बिल पर वोट करने की अपील की है। विपक्षी सांसद रणनीतिक चालें चल रहे हैं और इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के साथ लामबंद विपक्षी नेता इस मुद्दे पर एनडीए के सहयोगी दल जदयू और टीडीपी को भड़काना चाहते हैं।
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी ने वक्फ संशोधन बिल पर वोटिंग के लिए अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह बिल के पक्ष में वोट करेंगे या फिर विपक्ष में? क्योंकि आज जेडीयू नेता ललन सिंह और संजय झा के बयानों के बाद स्थिति यह आ गई थी कि अमित शाह को दोनों नेताओं के साथ मीटिंग करनी पड़ी। दूसरी तरफ टीडीपी के नवाब जान ने भी बिल के खिलाफ आवाज उठाई है।
यही वजह है कि राजनैतिक गलियारों में इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि अगर केन्द्र सरकार इस बिल को पास कराने में विफल हुई तो सरकार भी गिर सकती है। जाहिर सी बात है कि नीतीश और नायडू के सांसदों ने पक्ष में वोट नहीं किया तो वह सरकार से समर्थन भी वापस ले सकते हैं। वहीं, चिराग पासवान भी नीतीश के नक्शेकदम पर चलते हुए दिखाई देंगे। बीते दिनों उनका मुस्लिमों को लेकर बयान चर्चा का विषय बना था।
लोकसभा में 542 सदस्य हैं और 240 सदस्यों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। एनडीए की कुल संख्या 293 है जो बिल पास करने के लिए जरूरी 272 से कहीं ज्यादा है। इंडिया ब्लॉक में शामिल सभी पार्टियों की ताकत 233 ही पहुंचती है। आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल जैसे कुछ लोग दोनों में से किसी भी गठबंधन में नहीं हैं। कुछ निर्दलीय सांसद भी हैं जो खुलकर किसी गठबंधन के साथ नहीं हैं। जाहिर है, उनमें से ज्यादातर केंद्र सरकार के साथ होंगे।
राज्यसभा में इस समय 236 सदस्य हैं। इसमें भाजपा के 98 सदस्य हैं। एनडीए में सदस्यों की संख्या 115 के करीब है। अगर हम छह मनोनीत सदस्यों को भी जोड़ लें जो आम तौर पर सरकार के पक्ष में वोट करते हैं तो संख्या के खेल में एनडीए 121 पर पहुंच रहा है जो बिल पास करने के लिए जरूरी 119 से दो ज्यादा है। जाहिर है, संख्या का खेल सत्ताधारी पार्टी के पास है लेकिन एनडीए के लिए यह आसान नहीं है।
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जाहिर है, आने वाले दिनों में बिहार और बंगाल में विधानसभा चुनाव हैं। 2027 में यूपी में भी चुनाव हैं। इन राज्यों में मुस्लिम समुदाय की आबादी देश के दूसरे हिस्सों से ज़्यादा है। वक्फ बोर्ड बिल पर जितनी ज़्यादा बात होगी, बीजेपी को उतना ही फ़ायदा होगा। इसलिए बीजेपी किसी न किसी तरह इस मुद्दे को बहस के केंद्र में रखना चाहती है।