आरक्षण में क्रीमीलेयर पर एक बार फिर भड़की मायावती (सोर्स:- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण प्रणाली में उपवर्गीकरण और क्रीमीलेयर के फैसले के बाद विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सबसे ज्यादा नारजा बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती नजर आ रही है और अपनी नाराजगी मायावती समय-समय पर दिखाती रही है। हलांकि उनकी नाराजगी के कई माइने है आईए हम इसको विस्तार में समझते है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने एक बार फिर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उपवर्गीकरण और क्रीमीलेयर के मुद्दे को इन वर्गों के लोगों को बांटने वाला करार दिया है।
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बीएसपी प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर क्रीमीलेयर को लेकर एक पोस्ट में लिखा कि एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण और क्रीमीलेयर का मुद्दा इन वर्गों को बांटने वाला है, जबकि बसपा का मानवतावादी आंदोलन जाति के आधार पर सदियों से सताए गए इन लोगों को जोड़कर ‘बहुजन समाज’ बनाने का है जिससे कोई समझौता संभव नहीं है। पार्टी इस मुद्दे को लेकर अति गंभीर है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने पोस्ट में कहा इसको लेकर कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय से पहले से ही एससी-एसटी को बांटने की राजनीति की जा रही है जो ठीक नहीं है। खासकर यहां की कांग्रेस सरकारों का रवैया इस मामले में अति निंदनीय है।
नाराजगी के वास्तविक कारण को ऐसे समझिए कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावति एससी-एसटी की नेता मानी जाती है और उन्हें प्राथमिकता देने का सदैव से ही प्रयास करती रही है, और आरक्षण में क्रीमीलेयर प्रावधान से मायावति को एससी-एसटी वोट बैंक का नुकसान हो सकता है। लेकिन सवाल ये है कि ‘एससी-एसटी समाज में जो समृद्धशील परिवार है उन्हें आरक्षण क्यों दिया जाए’। ये गौर करने वाली बात है कि आरक्षण का प्रावधान जब हमारे सविंधान में आया था तो वो पिछड़ापन को देखते हुए आया था।
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मायावती ने आगे कहा कि बसपा में रहते हुए जो लोग कांग्रेस की तरह एससी-एसटी के वर्गीकरण और ‘क्रीमीलेयर’ का समर्थन करते हैं और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की मिशनरी सोच नहीं रखते हैं, उनका बसपा में कोई स्थान नहीं है। अर्थात एक व्यक्ति के लाभ के लिए पूरे बहुजन समाज के हित की उपेक्षा करना ठीक नहीं है।
इसके साथ ही बसपा प्रमुख ने यह भी कहा है कि ऐसी मानसिकता के लोग यदि पार्टी छोड़कर खुद ही चले जाते हैं या उन्हें अलग कर दिया जाता है, तो यह बसपा पार्टी और इसके आंदोलन के हित में उचित होगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण के वर्गीकरण और क्रीमीलेयर की आड़ में अब कांग्रेस के ‘इंडिया’ गठबंधन की ‘फूट डालो, राज करो’ की रणनीति नहीं चलेगी, लेकिन लोगों को सजग रहना चाहिए।