केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए खुशी और गम दोनों (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल मीडिया)
BJP Win Shashi Tharoor’s Thiruvananthapuram: केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए खुशी और गम दोनों लेकर आए हैं। जहां एक तरफ राज्य भर में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने बढ़त बनाई है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के दिग्गज नेता शशि थरूर को अपने ही घर में बड़ा झटका लगा है। तिरुवनंतपुरम, जो थरूर का लोकसभा क्षेत्र है, वहां कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है। इस हार ने न केवल थरूर के सियासी कद पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उनके और पार्टी आलाकमान के बीच चल रही तनातनी को और हवा दे दी है।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर कांग्रेस इस हार के बाद थरूर पर कोई सख्त एक्शन लेती है, तो शायद यह उनके मनमुताबिक ही होगा। पिछले काफी समय से थरूर के बागी तेवर किसी से छिपे नहीं हैं। चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में बयान देना हो या फिर राहुल गांधी की बैठकों से दूरी बनाना, थरूर लगातार ऐसे संकेत दे रहे हैं कि वह अपने लिए नए विकल्प खुले रख रहे हैं। स्थानीय चुनावों में भाजपा की यह जीत उनके लिए एक बड़ा इशारा मानी जा रही है और इसे थरूर के भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है।
तिरुवनंतपुरम में भाजपा की यह जीत प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखरन के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनाव में थरूर से मिली हार का गम इस जीत ने काफी हद तक कम कर दिया है। उधर, चुनावों से ठीक पहले थरूर को वीर सावरकर पुरस्कार देने के ऐलान ने भी सियासी पारा चढ़ा दिया था। भले ही उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया, लेकिन जानकारों का मानना है कि इस घटना ने उनके क्षेत्र के वोटरों के बीच एक खास संदेश जरूर पहुंचा दिया। थरूर के बदले सुर और भाजपा की यह जीत एक नई कहानी बयां कर रही है।
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शशि थरूर बखूबी जानते हैं कि वह पार्टी लाइन से हटकर आग से खेल रहे हैं। उनकी महत्वाकांक्षाएं अब राज्य की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की हैं, लेकिन अपने ही संसदीय क्षेत्र में खराब प्रदर्शन ने उनकी राह मुश्किल कर दी है। अटकलें हैं कि अगर कांग्रेस उन्हें निकालती है, तो वे इस्तीफा देकर उपचुनाव की नौबत ला सकते हैं। जानकार मानते हैं कि ऐसे हालात में थरूर भाजपा से लोकसभा या 2026 में विधानसभा टिकट के लिए बात कर सकते हैं, जिससे केरल के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे।