कांग्रेस पार्टी में ट्रोजन हॉर्स, राहुल को गलत सलाह देते (फोटो- सोशल मीडिया)
Allegation on KC Venugopal: बिहार चुनाव में मिली करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन में घमासान मचा हुआ है, लेकिन अब एक बयान ने दिल्ली से लेकर केरल तक सियासी पारा चढ़ा दिया है। केरल के मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल पर ऐसा हमला बोला है जिसने सबको चौंका दिया। उन्होंने वेणुगोपाल को कांग्रेस के अंदर छिपा ‘बीजेपी का ट्रोजन हॉर्स’ यानी एक खतरनाक वायरस बता दिया है। आरोप है कि यह वायरस राहुल गांधी को गलत सलाह देकर भीतर ही भीतर पार्टी को खोखला कर रहा है।
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि केरल की लेफ्ट सरकार केंद्र की बीजेपी सरकार के इशारों पर काम कर रही है। उन्होंने लेबर कोड और पीएम श्री प्रोजेक्ट का हवाला दिया। इसके जवाब में शिवनकुट्टी ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि वेणुगोपाल खुद बीजेपी के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सोनिया और राहुल गांधी पर केंद्रीय एजेंसियां कार्रवाई करती हैं, तो आखिर वेणुगोपाल पर कोई जांच क्यों नहीं होती? यह सवाल कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है क्योंकि यह हमला सीधे उनके संगठन महासचिव पर हुआ है।
शिवनकुट्टी ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केसी वेणुगोपाल जानबूझकर राहुल गांधी को लगातार गलत सलाह देते हैं। उनका कहना है कि वेणुगोपाल की चुनावी रणनीति उन राज्यों में कांग्रेस को कमजोर करती है जहां पार्टी बीजेपी से लड़ रही है। मंत्री ने यह भी दावा किया कि वेणुगोपाल ने राज्यसभा की सीट सोची-समझी रणनीति के तहत छोड़ी ताकि ऊपरी सदन में बीजेपी को आसानी से बहुमत मिल सके। सीपीएम नेता का मानना है कि वेणुगोपाल का अगला लक्ष्य केरल में बीजेपी को मजबूत करना है और कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि खतरा बाहर नहीं, बल्कि उनके घर के अंदर ही मौजूद है जो अदृश्य तरीके से काम कर रहा है।
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वेणुगोपाल ने केरल सरकार पर लेबर कोड लागू करने का आरोप लगाया था, जिसे लेकर लेफ्ट सरकार बैकफुट पर आ गई क्योंकि मीडिया में पुराने ड्राफ्ट रेगुलेशन की खबरें आ गई थीं। सीपीएम इसे गलतफहमी बता रही है, लेकिन विपक्ष इसे लेफ्ट की दोहरी राजनीति कह रहा है। इन आरोपों-प्रत्यारोपों ने कांग्रेस और सीपीएम के रिश्तों में गहरी खाई पैदा कर दी है। एक तरफ कांग्रेस में पहले ही अंदरूनी कलह है, वहीं दूसरी तरफ सहयोगी दलों के ऐसे तीखे बाण पार्टी को असहज कर रहे हैं। दक्षिण भारत से शुरू हुई यह लड़ाई अब राष्ट्रीय राजनीति में गठबंधन के भविष्य पर भी बड़े सवाल खड़े कर रही है।