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वो राजनेता जिसने अभाव में छोड़ा प्रभाव, नौकरी छोड़ मारी सियासी एंट्री…और बन गया पहला ‘महादलित’ CM

Jitan Ram Manjhi Story: 2014 में बिहार की राजनीति में एक चेहरा अचानक उभरा और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गया। बिहार के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में उस चेहरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Oct 06, 2025 | 05:05 AM

जीतन राम मांझी (सोर्स- सोशल मीडिया)

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Jitan Ram Manjhi Birthday: 2014 में बिहार की राजनीति में एक चेहरा अचानक उभरा और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गया। बिहार के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में उस चेहरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। तमाम मुश्किलों के बावजूद, उन्होंने न सिर्फ राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी की शोभा बढ़ाई, बल्कि इतिहास भी रच दिया।

देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक बिहार में 20 मई, 2014 को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले जीतन राम मांझी सोमवार को 81 साल के हो जाएंगे। आइए एक गांव से उठकर बिहार के पहले “महादलित” मुख्यमंत्री बनने वाले जीतन राम मांझी के बारे में कुछ अनकही कहानियां साझा करते हैं।

जीतन राम मांझी की ‘बिग स्टोरी’

जीतन राम मांझी का जन्म 6 अक्टूबर, 1944 को गया जिले के खिजरसराय के महकार गांव में हुआ था। वे एक नदी के किनारे पले-बढ़े। जिस साल उनका जन्म हुआ, उसी साल नदी में बाढ़ आ गई, जिससे उनके परिवार को एक बरगद के पेड़ पर चढ़ना पड़ा। “कितना राज, कितना काम” पुस्तक के अनुसार, जीतन राम मांझी ने स्वयं यह कहानी सुनाई थी।

टूटी स्लेट पर लिखते थे पहाड़ा

जीतन राम मांझी की प्रारंभिक शिक्षा की कहानी भी अलग है। “कितना राज, कितना काम” पुस्तक के अनुसार, मांझी ने स्वयं बताया है कि उनकी शिक्षा उनके ज़मींदार के घर से शुरू हुई थी। लेकिन कहते हैं न कि जब लगन सच्ची हो, तो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी अपनी छाप छोड़ सकता है।

नीतीश कुमार के साथ जीतन राम मांझी (सोर्स- सोशल मीडिया)

दरअसल, उनके जमींदार के बेटे के एक शिक्षक थे जिन्हें मांझी में कुछ खास बात लगती थी क्योंकि वे चुपके से उन्हें पढ़ाते हुए सुनते थे। इसके बाद, वह शिक्षक जीतन राम मांझी को पढ़ाने के लिए तैयार हो गए। मांझी ने बताया कि वे टूटी हुई स्लेट पर पहाड़े लिखकर याद कर लेते थे।

1966 में मिली सरकारी नौकरी

जीतन राम मांझी ने 1966 में गया कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1966 में मांझी को क्लर्क की नौकरी मिल गई। हालांकि, वे ज़्यादा समय तक टिक नहीं पाए और जल्द ही नौकरी छोड़ दी। इसके बाद, उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। यहां भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई।

विधायक बनते ही चमकी किस्मत

मांझी के गांव महकार में आठ मुसहर परिवार रहते हैं। हालांकि, सबसे बड़ा और पक्का घर जीतन राम मांझी का है। मांझी का घर दो मंजिला है, जिसे उन्होंने विधायक बनने के बाद बनवाया था। इसके अलावा, गांव में ओबीसी, ईबीसी और उच्च जातियों के 100 परिवार रहते हैं। मांझी के परिवार के पास 19 बीघा ज़मीन है, जिस पर उनके भतीजे उपेंद्र मांझी खेती करते हैं।

मंत्री रहते हुए करते थे खेतों में काम

उपेंद्र मांझी के अनुसार, जब जीतन राम मांझी विधायक और मंत्री थे, तो वे खुद कुल्हाड़ी लेकर खेतों में जाते थे। मांझी पहली बार 1980 में कांग्रेस से विधायक बने थे। 1983 में चंद्रशेखर सरकार में वे उपमंत्री रहे। इसके बाद 1990 के दशक में जनता दल सरकार में वे शिक्षा राज्य मंत्री बने।

नीतीश कुमार के साथ जुड़ें मांझी

बाद में, जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के साथ जुड़ गए। 2005 में, उन्हें एनडीए सरकार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त किया गया। लेकिन राजद के कार्यकाल के दौरान, एक भ्रष्टाचार घोटाले के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 2008 में मांझी मंत्रिमंडल में वापस आ गए।

नीतीश कुमार ने बना दिया सीएम

2014 के आम चुनावों में जदयू की हार के बाद, नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जदयू ने एक नए नेता की तलाश शुरू कर दी। नीतीश कुमार अपने महादलित आधार को मजबूत करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने ‘महादलित’ समुदाय से एक नेता की तलाश की। उनकी यह तलाश जीतन राम मांझी पर जाकर खत्म हुई।

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए जीतन राम मांझी (सोर्स- सोशल मीडिया)

मांझी जहानाबाद के मखदुमपुर से विधायक और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री थे। वे एक शांत, विनम्र और विनम्र मंत्री थे। उनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दूर-दूर तक नहीं था। जीतन राम मांझी गया में एक शादी में शामिल होने की तैयारी कर रहे थे, तभी उन्हें नीतीश कुमार का फोन आया और उन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री आवास पर आमंत्रित किया।

बिहार के पहले ‘महादलित’ सीएम

जब मांझी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, तो शरद यादव पहले से ही मौजूद थे। हमेशा की तरह, मांझी एक कोने वाली कुर्सी पर बैठ गए। तभी नीतीश कुमार बोले, “अरे, यहां मेरी कुर्सी पर बैठो।” यह घर अब तुम्हारा है। यह सुनकर मांझी अवाक रह गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। इसके बाद जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और राज्य को पहला ‘महादलित’ सीएम मिल गया।

जीतन राम मांझी का परिवार

जीतन राम मांझी का विवाह शांति देवी से हुआ है। उनके दो बेटे और पांच बेटियां हैं। उनके सबसे बड़े बेटे संतोष मांझी ने स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है, जबकि उनके दूसरे बेटे प्रवीण सुमन ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।

यह भी पढ़ें: जन्मदिन विशेष: कैसे हुई राहुल गांधी की सियासी एंट्री, क्यों तीन साल तक लंदन में नाम बदलकर किया काम?

मांझी के सबसे बड़े बेटे संतोष पहले वज़ीरगंज के एक कॉलेज में पढ़ाते थे, लेकिन अब वे हम पार्टी के एक प्रमुख नेता हैं। मांझी की एक बेटी सुनैना वार्ड पार्षद हैं। रूबी स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर हैं और प्रमिला ब्यूटी पार्लर चलाती हैं।

Jitan ram manjhi birthday know all interesting facts about him

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Published On: Oct 06, 2025 | 05:05 AM

Topics:  

  • Bihar Politics
  • Birthday Special
  • Indian History
  • Jitan Ram Manjhi

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