विदेश मंत्री एस. जयशंकर, फोटो- सोशल मीडिया
S Jaishankar on Terrorism: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर दो टूक रुख अपनाया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भले ही किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ था। पाकिस्तान की बौखलाहट और जवाबी प्रतिक्रिया ने खुद ही यह साबित कर दिया कि बात किसकी हो रही थी। भारत ने पलटवार करते हुए पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को “सीमा पार आतंकवाद की खुली स्वीकारोक्ति” बताया।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को अपने UNGA भाषण में बिना किसी देश का नाम लिए कहा कि दुनिया में हुए कई बड़े आतंकी हमलों की जड़ें एक ही स्रोत से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा, “भारत को स्वतंत्रता के बाद से आतंकवाद का सामना करना पड़ा है। हमने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाए और आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में लाया है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद को “राज्य नीति” के रूप में इस्तेमाल करने वाले देशों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा होनी चाहिए।
जयशंकर के भाषण के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने “राइट ऑफ रिप्लाई” का इस्तेमाल करते हुए भारत पर झूठ फैलाने और बदनाम करने का आरोप लगाया।
भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में द्वितीय सचिव रेंटाला श्रीनिवास ने कहा, “हमने किसी देश का नाम नहीं लिया था, लेकिन एक पड़ोसी देश की प्रतिक्रिया ने साबित कर दिया कि वे खुद ही मान रहे हैं कि बात उन्हीं की हो रही थी।” उन्होंने पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को “सीमा पार आतंकवाद की वर्षों से चलती आ रही नीति की स्वीकारोक्ति” बताया।
जयशंकर ने अपने भाषण में अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है। उन्होंने वैश्विक समुदाय से आतंकवादी संगठनों की फंडिंग रोकने और प्रमुख आतंकवादियों पर सख्त प्रतिबंध लगाने की अपील की। भारत ने यह भी कहा कि जब तक आतंकवाद को किसी भी रूप में संरक्षण मिलता रहेगा, तब तक वैश्विक शांति संभव नहीं।
पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने एक बार फिर अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन भारत के प्रतिनिधि रेंटाला श्रीनिवास बैठक कक्ष से बाहर निकल गए, यह दर्शाते हुए कि भारत इस मुद्दे पर अब और बहस नहीं करना चाहता बल्कि कार्रवाई चाहता है।
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद को लेकर जो मजबूत और साफ संदेश दिया है, वह केवल पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी देशों के लिए चेतावनी है जो छद्म युद्ध और आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा मानते हैं। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ने साबित कर दिया कि बात उसी की थी, और भारत ने बिना नाम लिए ही जो वार किया, वह सटीक निशाने पर लगा।