
भारतीय महिला खिलाड़ियों किया शानदार रहा 2025 (सोर्स- सोशल मीडिया)
Year Ender 2025: साल 2025 भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए यादगार रहा। चाहे खेल का मैदान हो, रिंग हो, मैट हो या शतरंज की बिसात हर जगह भारतीय महिलाओं ने अपनी मेहनत, हिम्मत और काबिलियत से देश का नाम रोशन किया। जिन उपलब्धियों को कभी बहुत मुश्किल माना जाता था, उन्हें भारतीय बेटियों ने सच कर दिखाया। इस साल उन्होंने साबित कर दिया कि अगर मौका और भरोसा मिले, तो नारी शक्ति को कोई नहीं रोक सकता।
2025 में जो कुछ भी हुआ, वह वाकई अद्भुत था। इसी वजह से अब 2026 को लेकर उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। आने वाले साल में कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट होंगे, जहां भारतीय महिला खिलाड़ी अपनी ताकत और हुनर पूरी दुनिया को दिखा सकती हैं। लेकिन उससे पहले यह जानना जरूरी है कि 2025 में भारतीय महिला खिलाड़ियों ने किन-किन खेलों में क्या-क्या हासिल किया।
भारतीय महिला क्रिकेट के लिए 2025 ऐतिहासिक साल रहा। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारतीय महिला टीम ने साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता। यह जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि इससे पहले 2005 और 2017 में भारत फाइनल तक तो पहुंचा था, लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत सका था। इस बार टीम ने सारी कमियां दूर कीं और खिताब अपने नाम किया। इस जीत के बाद पूरा देश खुशी से झूम उठा और हर किसी ने भारतीय बेटियों को सलाम किया।
इसी तरह एक और शानदार उपलब्धि दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम ने हासिल की। दीपिका टीसी की कप्तानी में भारतीय महिला दृष्टिबाधित टीम ने वर्ल्ड कप जीता। फाइनल मुकाबले में टीम ने श्रीलंका को हराया और यह साबित कर दिया कि हौसले मजबूत हों तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।
शतरंज ऐसा खेल है जिसमें धैर्य, सोच और रणनीति की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इस खेल में हर चाल बहुत सोच-समझकर चलनी पड़ती है। ऐसे में अगर कोई खिलाड़ी महज 19 साल की उम्र में वर्ल्ड कप जीत ले, तो यह बड़ी बात होती है। दिव्या देशमुख ने 2025 में यही कर दिखाया। उन्होंने शतरंज का वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया और यह खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं। उनकी इस सफलता ने भारत में शतरंज खेलने वाली लड़कियों को नई प्रेरणा दी।
तीरंदाजी में सही निशाना लगाना वैसे ही मुश्किल होता है, लेकिन अगर कोई खिलाड़ी हाथों के बिना, सिर्फ पैरों की मदद से तीर चलाए और चैंपियन बने, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। भारत की पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने 2025 में ऐसा ही कर दिखाया। सिर्फ 18 साल की उम्र में उन्होंने पैरा वर्ल्ड चैंपियन का खिताब जीता और भारत की पहली पैरा तीरंदाज बनीं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। उनकी कहानी मेहनत और आत्मविश्वास की मिसाल है।
जहां एक तरफ पुरुष मुक्केबाजों के लिए जीत हासिल करना मुश्किल रहा, वहीं भारतीय महिला मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। जैसमिन लाम्बोरिया और मीनाक्षी हुड्डा ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश को गर्व महसूस कराया। खासतौर पर जैसमिन से आने वाले 2028 ओलंपिक में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। इन मुक्केबाजों ने दिखा दिया कि भारतीय महिलाएं रिंग में भी किसी से कम नहीं हैं।
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मीराबाई चानू पहले ही टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर चुकी हैं। 2025 में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उनकी लगातार सफलता से यह साफ हो गया कि वह अभी भी दुनिया की बेहतरीन वेटलिफ्टरों में शामिल हैं और भारतीय वेटलिफ्टिंग को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही हैं।
भारतीय महिला पहलवानों ने भी 2025 में शानदार प्रदर्शन किया। अंतिम पंघाल ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। यह उपलब्धि इसलिए भी खास रही क्योंकि इस साल भारतीय कुश्ती को डोपिंग जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ा था। ऐसे मुश्किल हालात में अंतिम की सफलता यह दिखाती है कि सही मेहनत और ईमानदारी से आगे बढ़ा जाए तो सफलता जरूर मिलती है। उनसे आने वाले 2028 ओलंपिक में भी पदक की उम्मीद की जा रही है।






