अग्नि-V मिसाइल (सोर्स- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारत ने मॉडर्न बंकर-बस्टर बम विकसित करने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। हाल के वैश्विक संघर्षों से सीखते हुए, देश एक नया और ताकतवर मिसाइल सिस्टम विकसित करके भविष्य के लिए खुद को तैयार कर रहा है। यह मिसाइलें दुश्मन के परमाणु ठिकानों और जमीन के अंदर बने अन्य सामरिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करने में सक्षम होगी।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) अग्नि-V अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का संशोधित संस्करण विकसित कर रहा है। अग्नि-V के ओरिजिनल वर्जन की मारक क्षमता 5000 किमी से अधिक है और यह मिसाइल आमतौर पर परमाणु हथियार ले जाती है। इसका नया वर्जन एक 7500 किलोग्राम के विशाल बंकर-बस्टर वारहेड को ले जाने में सक्षम होगा।
अग्नि-5 के पुराने संस्करण में 5 हजार किमी की दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता है। इसके दो नए संस्करणों (बस्टर मिसाइलों) की रेंज 2500 किमी होगी। यह मैक 8 से मैक 20 की हाइपरसोनिक गति से हमला करने में सक्षम होगा। यानी यह आवाज से 8 से 20 गुना तेज गति से हमला करेगा।
अग्नि-5 के नए वर्जन में 7500 किलोग्राम बंकर बस्टर वारहेड ले जाने की क्षमता होगी। यानी अमेरिकी GBU-57 बंकर बस्टर बम से भी ज्यादा। DRDO की यह उपलब्धि भारत को अमेरिका के 30 हजार पाउंड (13600 किलोग्राम) GBU-57 सीरीज के ‘बंकर बस्टर’ बम के बराबर ला खड़ा करेगी।
22 जून को अमेरिका ने अपने B-2 बमवर्षक विमानों से ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर बंकर-बस्टर (GBU-57/A मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर्स) बम गिराए थे। इस हवाई हमले में ईरान के इस प्रमुख परमाणु संयंत्र को काफी नुकसान पहुंचा था। दरअसल ईरान ने फोर्डो परमाणु संयंत्र को पहाड़ों के बीच जमीन से 100 मीटर नीचे बनाया था, जिसे सामान्य विस्फोट से नुकसान नहीं पहुंच सकता।
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यही वजह है कि अमेरिका ने इस परमाणु संयंत्र पर बंकर-बस्टर बम गिराने का फैसला किया था। ये बम पहले जमीन में 60 से 70 मीटर का छेद करके घुस जाते हैं और फिर फट जाते हैं। यानी इन बमों का इस्तेमाल दुश्मन के भूमिगत ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत तेजी से दुश्मन के बंकर भेदने वाली मिसाइलों को बढ़ा रहा है। भारत-पाकिस्तान तनाव और ईरान-इजराइल युद्ध को देखते हुए भारत अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत कर रहा है। पाकिस्तान और चीन ने अपनी सीमाओं पर मजबूत भूमिगत ठिकाने बनाए हैं। पहाड़ी इलाकों और ऊंचाई वाले इलाकों में यह मिसाइल बड़ी भूमिका निभाएगी।