लोकसभा स्पीकर को सौंपा गया महाभियोग प्रस्ताव, फोटो: सोशल मीडिया
Justice Yashwant Varma Case: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 का हवाला देते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच की मांग की गई है। जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाए जाने से जुड़े प्रस्ताव पर कुल 145 हस्ताक्षर किए गए हैं। अब इसे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दिया गया है। हस्ताक्षर करने वालों में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के कई दिग्गज नेता शामिल रहे।
15 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से पांच सौ रुपये के जले नोट बरामद हुए थे। इसी मामले में सांसदों का आरोप है कि ऐसी घटना से न्यायपालिका की निष्पक्षता और सार्वजनिक विश्वास को ठेस पहुंची है। राहुल गांधी के साथ-साथ बीजेपी से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव रूड़ी, पीपी चौधरी और सुप्रिया सुले जैसे नेता शामिल हैं। अब इस मामले में संसद जस्टिस वर्मा के ऊपर लगे आरोपों की जांच करेगी।
दरअसल जस्टिस वर्मा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जांच समिति गठित की गई थी। इस समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। जजों की समिति ने मई को CJI अपनी रिपोर्ट को सौंपी थी। इसमें जस्टिस वर्मा दोषी ठहराते हुए इस्तीफे का विकल्प दिया गया था। लेकिन जस्टिस वर्मा ने ऐसा करने से मना कर दिया जिस कारण से सरकार ने महाभियोग का निर्णय लिया था।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग (Impeachment Motion) चलाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, जनता दल सेकुलर, जनसेना पार्टी, असम गण परिषद, शिवसेना, लोजपा समेत कई दलों के सांसदों ने महाभियोग से जुड़े ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
आपको बता दें कि किसी भी जज को हटाने के प्रस्ताव पर लोकसभा में न्यूनतम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए। इस तरह से अगर देखा जाए तो जस्टिस वर्मा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए जरुरी समर्थन हासिल हो चुका है।
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अब सवाल ये उठता है कि क्या सत्र के पहले हफ्ते में ये प्रस्ताव लाया जा सकता है? इस सवाल पर किरेन रिजिजू ने कहा, “मैं प्राथमिकता के आधार पर किसी चीज पर कोई कमेंट नहीं कर सकता। जब तक यह प्रस्ताव स्पीकर की अनुमति से बीएसी की ओर से पारित नहीं हो जाता तब तक मेरे लिए कुछ भी कहना कठिन है।”