जनगणना। इमेज-एआई
How Caste Census Done In India: भारत में अगली जनगणना दो चरणों में होगी। पहले चरण की जनगणना अप्रैल और सितंबर 2026 के बीच और दूसरे चरण की फरवरी 2027 में होगी। पहले फेज में हाउज लिस्टिंग और हाउस सेंसस किया जाएगा। दूसरे फेज में पॉपुलेशन एन्यूमरेशन होगा। इस बार की जनगणना काफी एडवांस होने वाली है। इसमें हाइटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा। जीपीएस टैगिंग, डिजिटल इंटरव्यू और एआई का इस्तेमाल होगा।
जनगणना डिजिटल तरीके से की जाएगी। इसमें मोबाइल ऐप के माध्यम से डेटा एकत्र और स्व गणना के लिए ऑनलाइन प्रावधान होगा। बता दें, जनगणना की प्रत्येक कवायद से पहले मंत्रालयों, विभागों, संगठनों और जनगणना डेटा उपयोगकर्ताओं से प्राप्त जानकारी और सुझावों के आधार पर जनगणना से संबंधित प्रश्नावली को अंतिम रूप दिया जाता है।
इस बार की जनगणना में मोबाइल ऐप से डेटा कलेक्शन होगा। पहली बार हर गणनाकर्ता को स्मार्टफोन या टैबलेट दिया जाएगा। जनगणना के लिए डेडिकेटेड मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाएगा, जो डेटा प्रविष्टि को तेज और एरर लेस बनाएगा। ऐप में ड्रॉपडाउन मेनू और फेच जैसे स्मार्ट फीचर्स होंगे। ये डेटा दोहराव को कम करने में मदद करेंगे। इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकग्निशन (ICR) तकनीक का उपयोग कर असंगठित उत्तरों को भी प्रोसेस किया जाएगा। सभी भवनों (आवासीय और गैर-आवासीय) की जियो-टैगिंग पहली बार की जाएगी। इसकी ऑनलाइन निगरानी भी की जाएगी। पूरी प्रक्रिया की रियल टाइम निगरानी के लिए वेबसाइट भी होगी।
नागरिकों के पास विकल्प होगा कि खुद भी घर बैठे ऑनलाइन जनगणना फॉर्म भरें। लोग मोबाइल/ लैपटॉप पर अपना गृह पहचान संख्या डालेंगे। ओटीपी वेरिफिकेशन से परिवार की पूरी जानकारी दर्ज होगी। सबमिट करने पर एक डिजिटल रसीद मिलेगी। आवेदक बाद में बस जानकारी मिलान कर लेंगे। सवालों की पूरी सूची डिजिटल रूप में होगी। निवासी की जानकारी भरकर सीधे सर्वर पर भेजना होगा। रियल टाइम डेटा अपडेट होगा। हर एंट्री एन्क्रिप्शन के साथ सीधे सिक्योर NIC सर्वर पर जाएगी। बीच में डेटा खोने की संभावना नहीं होगा। लोगों को डेटा बैकअप की जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि सब कुछ लाइव अपलोड होगा।
जिन लोगों ने Self-enumeration नहीं किया, वहां अधिकारी घर-घर जाकर मोबाइल या टैबलेट से इंटरव्यू लेंगे। फिर जवाब स्क्रीन पर भरेंगे। जीपीएस लोकेशन से घर और व्यक्ति की पहचान की पुष्टि होगी। हर गांव, शहर, वार्ड, ब्लॉक और घर को जीआईएस मैप पर टैग किया जाएगा। गलत मैपिंग नहीं होगी। दोहरी गिनती खत्म होगी और माइग्रेशन और शहरीकरण की सही तस्वीर सामने आ सकती है। डेटा एनालिटिक्स और एआई आधारित वेरिफिकेशन-2027 की जनगणना में पहली बार मशीन लर्निंग से डुप्लीकेट एंट्री हटेंगी और एआई से अजीब या असंभव डेटा को फ्लैग किया जाएगा, ताकि क्लियर डेटा तैयार होगा।
डिजिटल जनगणना में डेटा तेजी से जारी होगा। कागजी प्रक्रिया की तरह काफी समय नहीं लगेगा। गलतियां और दोहरी कम होगा। कम लागत के साथ तुरंत विश्लेषण और नीति निर्माण आसान होगा। पर्यावरण संरक्षण भी होगा, क्योंकि कागजों का इस्तेमाल घट जाएगा।
भारत में जनगणना का इतिहास 150 साल से अधिक पुराना है। हर जनगणना में पिछली जनगणनाओं के अनुभवों का ध्यान रखा जाता है। जनगणना की शुरुआत 1872 में हुई थी, तब वायसराय लॉर्ड मेयो के शासनकाल में हुई थी। पहली पूर्ण,समकालिक जनगणना 1881 में हुई थी। स्वतंत्रता के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी।
यह भी पढ़ें: Census 2027: जनसंख्या जनगणना पर खर्च होंगे ₹14,619 करोड़! गृह मंत्रालय ने की बजट की मांग
पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। 2021 की जनगणना कोरोना महामारी और लॉजिक क्रियान्वयन कारण स्थगित हुई। इस कारण अगली जनगणना 2026-2027 में तय की गई है, ताकि समय अंतर पूरा हो जाए और नमूना-डेटा (Population Data) अपडेट हो सके। जनगणना 2027 में शामिल मुख्य डेटा होंगे। इसमें जनसंख्या, शिक्षा, रोजगार, आर्थिक गतिविधि, मातृ-भाषा, घर, पानी, बिजली, इंटरनेट, धर्म, जाति/ जनजाति और प्रवासन आदि का उल्लेख होगा।