एचएमपीवी (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) संक्रमण का पहला मामला सामने आने के एक दिन बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने देश में गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों (SARI) और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) के मामलों पर सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। कर्नाटक के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि यह एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) के अधिकारियों की बैठक के दौरान आया। सरकार ने कहा कि चिंता का कोई कारण नहीं है क्योंकि वायरस पहले से ही वैश्विक प्रसार में था।
पहला एचएमपीवी संक्रमण बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में पाया गया था, जहां एक आठ महीने के लड़के और तीन महीने की लड़की का निमोनिया के लक्षणों के लिए इलाज किया जा रहा था। जबकि ब्रोन्कोन्यूमोनिया के इतिहास वाली लड़की को छुट्टी दे दी गई है, लड़के का अभी भी इलाज चल रहा है। एचएमपीवी एक श्वसन संबंधी बीमारी है, जिसकी पहचान सबसे पहले 2001 में हुई थी। यह हवा के जरिए फैलता है और इसमें सामान्य सर्दी, गले में खराश और बुखार जैसे फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। गंभीर मामलों में ब्रोंकाइटिस और निमोनिया हो सकता है।
वायरस की स्थिति को स्पष्ट करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया, “एचएमपीवी पहले से ही भारत सहित दुनिया भर में प्रचलन में है, और एचएमपीवी से जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले कई देशों में सामने आए हैं।” इसमें कहा गया है कि निगरानी के दौरान पकड़े गए दो मामलों में अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं था, जिसका अर्थ है कि इन संक्रमणों का चीन में श्वसन संक्रमण में कथित उछाल से कोई संबंध नहीं है।
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आपको जानकारी के लिए बताते चलें कि HMP वायरस के भारत में अबतक 7 केस सामने आ चुके हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन सात लोगों में HMP वायरस पाया गया है, वे सभी-के-सभी बच्चे हैं। रिपोर्ट्स से यह पता चलता है कि यह वायरस ज्यादातर बच्चों और बुजुर्गों को अपने चपेट में ले रहा है। बच्चों और बुजुर्गों में यह वायरस तेजी से फैल रही है। ऐसे में देश के सभी राज्यों में इसे लेकर एडवाइजरी जारी कर दी गई है। इसके साथ ही लोगों को फिर से मास्क लगाने के भी सलाह दिए गए हैं।