फर्जी IAS पूजा खेडकर केस में आज सुनवाई
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की फर्जी IAS अफसर पूजा खेडकर मामले में आज दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। आज कोर्ट उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर विचार और सुनवाई करेगी। दरअसल उनको गिरफ्तारी से मिली राहत आज खत्म हो रही है। इस मामले पिछली सुनवाई बीते 5 सितंबर को हुई थी।
इस सुनवाई के दौरान पूजा ने कोर्ट से साफ कहा था कि वह अपनी विकलांगता की जांच AIIMS में कराने को तैयार हैं. खेडकर की यह दलील दिल्ली पुलिस के इस आरोप के उत्तर में आई थी कि उनका (खेडकर का) एक विकलांगता प्रमाण पत्र ‘‘जाली” हो सकता है। उनके खिलाफ धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांगता कोटा का लाभ गलत तरीके से लेने का भी आरोप है।
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इस बाबत खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि , ‘‘मैं अपनी विकलांगता जांच कराने को तैयार हूं। पहले उन्होंने कहा कि मैंने अपना नाम बदल लिया है। अब वे कह रहे हैं कि (मेरी) दिव्यांगता संदिग्ध है। मैं AIIMS जाने को तैयार हूं।”
इस बाबत दिल्ली पुलिस के वकील ने दलील दी थी कि पूजा खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा देते समय “तथ्यों को छुपाया” अन्यथा वह परीक्षा देने के पात्र नहीं थीं। वहीं खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया था कि पुलिस ने मामले में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए दबाव नहीं डाला है, और वैसे भी इसकी आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि अधिकारियों के पास सभी रिकॉर्ड उपलब्ध हैं।
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पुलिस ने कहा था कि ‘साजिश’ और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों का पता लगाने के लिए खेडकर की हिरासत आवश्यक थी। खेडकर ने आरक्षण का लाभ पाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग की 2022 की परीक्षा के लिए अपने आवेदन में कथित तौर पर गलत जानकारी दी।
वहीं इस मामले में UPSC ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने से वंचित कर दिया। खेडकर ने सभी आरोपों से इनकार किया है। UPSC और दिल्ली पुलिस दोनों ने अग्रिम जमानत के लिए खेडकर की याचिका खारिज करने की मांग की है। दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि उन्हें कोई भी राहत देने से “गहरी साजिश” की जांच में बाधा उत्पन्न होगी और इस मामले का जनता के भरोसे के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की शुचिता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
इसके साथ ही पुलिस ने दावा किया था कि खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा-2022 और सिविल सेवा परीक्षा-2023 के लिए दो अलग-अलग दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए। पुलिस का कहना है कि सत्यापन के बाद यह पाया गया है कि बाद वाले प्रमाण पत्र के ‘‘जाली होने” की ‘‘संभावना” अधिक है।
इस बाबत दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की है। एक स्थानीय सत्र अदालत ने एक अगस्त को खेडकर को अग्रिम जमानत देने से साफ इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिनकी “गहन जांच की आवश्यकता है।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)