प्रतीकात्मक तस्वीर- दिल्ली पुलिस (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल को विजिलेंस टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा तो आरोपी को हार्ट अटैक आ गया। इसके बाद विजिलेंस टीम ने थाने में तैनात अन्य पुलिसकर्मियों की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती कराया। अब आरोपी हेड कांस्टेबल का बुराड़ी के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। घटना शुक्रवार रात की है।
विजिलेंस टीम के मुताबिक आरोपी हेड कांस्टेबल बुराड़ी थाने के अंदर एक व्यक्ति से 25000 रुपये रिश्वत ले रहा था। इसी दौरान मौके पर पहुंची विजिलेंस टीम ने आरोपी को रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद उसके सीने में दर्द होने लगा, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जाल बिछाकर विजिलेंस टीम ने पकड़ा
अधिकारियों ने कहा कि एक स्थानीय व्यवसायी ने शिकायत की थी। व्यसायी के मने बताया कि अधिकारी उसकी छत से मोबाइल टावर नहीं हटाने के लिए 75,000 रुपये की रिश्वत मांग रहा है। इसके बाद आरोपी को पकड़ने के लिए विजिलेंस विभाग की एक टीम जाल विछाया। टीम ने शिकायतकर्ता को 25,000 रुपये की तीन किस्तों में रिश्वत देने का निर्देश दिया। पहले से ही अलर्ट विजिलेंस टीम थी। जैसे ही हेड कांस्टेबल ने रिश्वत के पैसे लिए उतने में ही। उसे पकड़ लिया गया, लेकिन उसी दौरान हेड कांस्टेबल के सीने में दर्द शुरू हो गया। जिसके चलते उसे अस्पातल में भर्ती कराना पड़ गया।
अस्पताल से छूटने के बाद फिर होगी गिरफ्तारी
वहीं विजिलेंट टीम के अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार हेंड कांस्टेबल की हालत फिलहाल स्थिर है। अब बस उसके अस्पातल से छूटने की देर है। इसके बाद विजिलेंस टीम दोबारा आरोपी पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार करेगी। इसके अलावा विजिलेंस टीम के अधिकारी ने बताया कि रिश्वत मामले में अधिकारी की संलिप्तता की निर्धारित करने के लिए जांच चल रही है। किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी।
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समयपुर बादली में ट्रैफिक पुलिस अधिकारी 2 साल से वसूल रहा था रिश्वत
इससे पहले, राउज एवेन्यू कोर्ट ने 14 जून को एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी को जमानत दे दी थी, जो कथित तौर पर समयपुर बादली ट्रैफिक सर्कल में ट्रांसपोर्टरों और अन्य व्यक्तियों से एक सहायक के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे एक व्यक्ति के माध्यम से रिश्वत के पैसे वसूल रहा था। सहायक की पहचान दलीप कुमार के रूप में हुई, जिसने सतर्कता शाखा में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने दावा किया गया था आरोपी पुलिस अधिकारी पिछले दो वर्षों से रिश्वत के पैसे वसूलने के लिए उसका इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि उसे इसकी जानकारी नहीं थी।