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8th Pay Commission: मोदी सरकार ने मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय कर्मचारियों के वेतनमान और भत्तों में संशोधन के लिए आठवें वेतन आयोग का गठन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना प्रकाश देसाई आयोग की अध्यक्षता करेंगी।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 8वें वेतन आयोग के गठन की जानकारी दी। आयोग के दायरे और शर्तों को भी मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
आयोग में तीन प्रमुख सदस्य नियुक्त किए गए हैं:
• अध्यक्षता: सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना प्रकाश देसाई।
• अस्थायी सदस्य: आईआईएम बैंगलोर के प्रोफेसर पुलक घोष।
• सदस्य-सचिव: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन।
आयोग को 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें (अनुशंसाएं) केंद्र सरकार को सौंपनी होंगी। यदि आवश्यक हुआ तो आयोग अंतरिम रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर सकता है। आयोग की सिफारिशें तैयार करते समय, देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय अनुशासन को ध्यान में रखा जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कोष में विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करना है।
यह संभावना जताई जा रही है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगी। यह अनुमान इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि वेतन आयोग की अनुशंसाएं हर 10 साल में संशोधित होती हैं, और सातवें आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हुई थीं।
आठवें वेतन आयोग से 50 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और लगभग 69 लाख पेंशनभोगियों को सीधे तौर पर फायदा पहुंचेगा। कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि वेतन में कितनी बढ़ोतरी होगी और खाते में कितने रुपये आएंगे। मूल वेतन में वृद्धि फिटमेंट फैक्टर और महंगाई भत्ता (डीए) के समायोजन पर निर्भर करेगी। सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था, इसलिए आठवें आयोग में यह कितना होगा, इसी पर वेतन वृद्धि निर्भर करेगी।
हर वेतन आयोग के लागू होने के बाद महंगाई भत्ता (डीए) शून्य पर रीसेट हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नई मूल वेतन में महंगाई का हिसाब पहले ही जोड़ दिया जाता है। वर्तमान में डीए मूल वेतन का 55 प्रतिशत है, और डीए के हटने से कुल वेतन में वृद्धि थोड़ी कम महसूस हो सकती है।
आयोग को कर्मचारियों की बिना योगदान वाली पेंशन योजना के वित्तीय पहलुओं पर भी सिफारिशें देने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, आयोग अपनी अनुशंसाएं देते समय राज्यों की वित्तीय स्थिति का भी मूल्यांकन करेगा, क्योंकि राज्य सरकारें केंद्रीय आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही अपने कर्मचारियों के वेतन में संशोधन करती हैं।
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उदाहरण के लिए यदि कोई कर्मचारी लेवल-5 पर है और सातवें वेतन आयोग के तहत उसका मूल वेतन ₹29,200 है। यदि आठवें आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.0 लागू होता है, तो उसका नया मूल वेतन ₹58,400 हो जाएगा (₹29,200 × 2)। डीए शून्य हो जाएगा, लेकिन यदि मेट्रो शहर में एचआरए (27%) जोड़ दिया जाए, तो कुल वेतन ₹74,168 होगा। इस फॉर्मूले से कोई भी कर्मचारी सी ग्रेड से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक अपनी सैलरी की गणना कर सकता है।