गाजियाबाद फर्जी दूतावास मामले में नया खुलासा (फोटो- सोशल मीडिया)
Ghaziabad Fake Embassy Case: गाजियाबाद में फर्जी एम्बेसी मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। मुख्य आरोपी हर्षवर्धन जैन ने यूपी एटीएस को दिए बयान में खुलासा किया है कि उसने यह सब कुख्यात तांत्रिक चंद्रास्वामी के करीबी एहसान अली सैयद के इशारे पर किया था। इस खुलासे के बाद मामला सिर्फ फर्जी एम्बेसी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें विदेशों तक फैले हवाला नेटवर्क और शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों के प्रमाण भी सामने आए हैं।
एसटीएफ ने जांच में बताया है कि हर्षवर्धन जैन ने लंदन, दुबई, मॉरीशस और अफ्रीकी देशों में कई फर्जी कंपनियां रजिस्टर करवा रखी थीं। इनमें स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूके), ईस्ट इंडिया कंपनी यूके लिमिटेड, आईलैंड जनरल ट्रेडिंग कंपनी एलएलसी (दुबई), इंदिरा ओवरसीज लिमिटेड (मॉरीशस) और कैमरन इस्पात एसएआरएल (अफ्रीका) शामिल हैं।
हर्षवर्धन ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उसने यह सभी कंपनियां चंद्रास्वामी के करीबी एहसान अली सैयद के कहने पर बनाई थीं। एहसान अली हैदराबाद का रहने वाला है और उसने तुर्की नागरिकता भी हासिल कर रखी है। लंदन में रहते हुए एहसान अली ने हर्षवर्धन की मदद से कई शेल कंपनियां खड़ी की थीं, जिनका इस्तेमाल हवाला और धोखाधड़ी जैसे गैरकानूनी कामों के लिए किया जाता था।
2008 से 2011 के बीच, एहसान अली सैयद की कंपनी वेस्टर्न एडवाइजरी ग्रुप जो स्विट्जरलैंड और बहरीन में रजिस्टर्ड थी, स्विस आधारित कई कंपनियों को 70 मिलियन पाउंड का लोन दिलाने का झांसा देकर करीब 25 मिलियन पाउंड की भारी-भरकम दलाली वसूली और फिर फरार हो गया। 2022 में लंदन पुलिस ने उसे स्विट्जरलैंड सरकार के अनुरोध पर गिरफ्तार किया। इसके बाद जुलाई 2023 में वेस्टमिनिस्टर कोर्ट, लंदन ने एहसान के प्रत्यर्पण की स्वीकृति दी, और ज्यूरिख की अदालत ने उसे 6.5 साल की सजा सुनाई। पूरे मामले में हर्षवर्धन जैन की भूमिका भी संदिग्ध है। उसके पास से दो पैन कार्ड बरामद हुए हैं, जिनका इस्तेमाल देश-विदेश में बैंक खाते खोलने के लिए किया गया था। इन खातों और लेन-देन की गहन जांच जारी है।
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नेमीचंद जैन उर्फ चंद्रास्वामी भारत का सबसे कुख्यात और विवादास्पद तांत्रित था। जिसके संबंध दुबई के आर्म्स डीलर अदनान खगोशी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और ब्रिटेन के शाही पारिवार तक से थे। 1991 में राजीव गांधी की हत्या में भी चंद्रास्वामी का नाम आया था।