राम प्रसाद बिस्मिल जन्मदिन विशेष
जन्मदिन विशेष : देश को स्वतंत्रता दिलाने में हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। आजादी की लड़ाई में अपना घर-बार छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल इन क्रांतिकारियों का एक ही मकसद था पूर्ण स्वराज। देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले महान क्रांतिकारियों में शामिल राम प्रसाद बिस्मिल को कौन नहीं जानता। अपने क्रांतिकारी हमलों से अंग्रेजों की नाक में दम कर देने वाले बिस्मिल न सिर्फ हथियारों से बल्कि कलम से भी युवाओं को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रेरित किया। आज राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती पर आइए जानते हैं कैसे उन्होंने अंग्रेजी सरकार की कमर तोड़ दी थी।
राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। बिस्मिल बचपन से ही पढ़ने के शौकीन थे। उन्होंने अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई की और हिन्दी के साथ उर्दू भी सीखी। उन्हें कविताएं लिखने का भी शौक था। राम प्रसाद बिस्मिल ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
उन दिनों देश भर में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। स्वराज के लिए चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे दिग्गज क्रांतिकारी अंग्रेजों पर हमलावर हो रहे थे। स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी अंदोलनों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत सारे धन की भी जरूरत थी। ऐसे में राम प्रसाद बिस्मिल और उनके साथियों को पता चला कि अंग्रेज सरकारी खजाने को ट्रेन से ले जा रहे हैं। इस पर बिस्मिल ने अंग्रेजों का खजाना लूटने का प्लान बनाया। बिस्मिल ने खजाना लूटने के लिए काकोरी के पास स्टेशन से पहले ट्रेन रोकर कर खजाना लूटने की प्लानिंग की।
9 अगस्त 1925 यानी ठीक सौ साल पहले कोकोरी स्टेशन के पास बिस्मिल और उनके साथियों ने ट्रेन पर धावा बोला और कुछ दूर पहले ही गाड़ी रोक ली। इसके बाद अंग्रेजों का पूरा खजाना लूट लिया। इतिहास के पन्नों में यह बहुत बड़ी क्रांतिकारी घटना थी जिसे काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है। इस घटना ने अंग्रेजी हुकूमत की न सिर्फ कमर तोड़ी बल्कि उन्हें खुली चुनौती भी दी।
राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे युवा क्रांतिकारी थे जो अंग्रेजों पर प्रहार कर फरार हो जाते थे। इसके बाद अंग्रेजों ने षड्यंत्र रचकर बिस्मिल को गिरफ्तार कर लिया। कई दिनों तक उन्हें भूखा प्यासा रखा गया लेकिन उनके मुंह से लूटे गए खजाने का पता नहीं निकलवा सके।
राम प्रसाद बिस्मिल की कविताएं और नारे युवाओं में जोश भरने का काम कर रहे थे। उन्होंने कई कविताएं लिखीं जिनमें ‘सरफरोशी की तमन्ना’ काफी चर्चित रही। इस कविता की प्रसिद्ध पंक्ति, ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है’ युवाओं की जुबान पर चढ़ी रही और स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूत करती रहीं।
राम प्रसाद बिस्मिल को काकोरी कांड में शामिल होने के लिए गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया और फिर अंग्रेजी सरकार ने 9 अगस्त 1925 को बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी।
राम प्रसाद बिस्मिल ने देश की स्वतंत्रता के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण त्याग दिए लेकिन उनके विचार आज भी युवाओं में जीवित हैं और उन्हें प्रेरणा दे रहे हैं।