पूर्व डीजीएमओ अनिल भट्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद शुरू हुए भारत-पाकिस्तान तनाव में 10 मई को हुए सीजफायर के बाद से शांति बहाल होने लगी है। लेकिन भारत सरकार के इस फैसले पर कई लोग सवाल भी उठा रह हैं। सबसे ज्यादा बात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी PoK को लेकर हो रही है। इन सब के बीच पूर्व डीजीएमओ अनिल भट्ट ने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है।
पूर्व महानिदेशक (DGMO) अनिल कुमार भट्ट ने कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आधुनिक युग के युद्ध में ड्रोन के महत्व को स्पष्ट रूप से सामने ला दिया है जो अंतरिक्ष और साइबरस्पेस के साथ मिलकर भविष्य के सैन्य संघर्षों में नए प्रतिमान जोड़ेगा। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट (सेवानिवृत्त) ने यह बात ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ गुरुवार को साक्षात्कार में कही।
अनिल कुमार भट्ट ने सोशल मीडिया पर युद्ध के संबंध में की जा रही बातों के प्रति भी नाराजगी व्यक्त की। बहुत से सोशल मीडिया उपयोगकर्ता सैन्य संघर्ष के चार दिन में समाप्त हो जाने से नाखुश थे और उनका मानना था कि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पुनः प्राप्त करने का एक अवसर था। पूर्व डीजीएमओ ने कहा कि युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए और युद्ध नहीं छेड़ा जाना चाहिए क्योंकि भारत ने अपने रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल कर लिया है।
बता दें कि पहलगाम आंतकी हमले के बाद भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इसमें भारतीय शसस्त्र बलों को सफलता मिली और पाकिस्तान व पीओके के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान ने बॉर्डर पर गोलाबारी शुरू कर दी और भारत पर ड्रोन व मिसाइल से हमले की नाकाम कोशिशें की।
भारत ने पाकिस्तानी हमले का करारा जवाब दिया और पड़ोसी मुल्क के कई एयरबेस को निशाना बनाया। भारत के जवाबी हमले से घबराए पाकिस्तान ने सीजफायर की पेशकश की और आखिरकार 10 मई को सीजफायर हो गया।
इसके बाद सोशल मीडिया पर भारत सरकार के सीजफायर के फैसले को लेकर लोगों में नाराजगी दिखने को मिली। साेशल मीडिया पर एक बहस शुरू हुई, जिसमें कहा जा रहा था कि जब इस लड़ाई में भारत आगे है और पड़ोसी मुल्क ‘घुटनों’ पर आ गया है तो फिर सीजफायर का फैसला क्यों किया गया?