अरावली पर सरकार का बड़ा फैसला (सोर्स- सोशल मीडिया)
Aravalli Range: अरावली पहाड़ियों के संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बेहद अहम और ऐतिहासिक फैसला लिया है। सरकार ने सभी संबंधित राज्यों को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टे देने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। दिल्ली से गुजरात तक फैली इस महत्वपूर्ण पर्वत श्रृंखला को लेकर पिछले कुछ समय से काफी विवाद चल रहा था और सोशल मीडिया पर भी आम जनता द्वारा सरकार के कदमों की आलोचना की जा रही थी। जनभावना और पर्यावरण को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
सरकार ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए कहा है कि वह अरावली की पहाड़ियों के संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और जैव विविधता को बचाने में इसकी भूमिका को समझती है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक, यह रोक पूरी अरावली रेंज पर एक समान रूप से लागू होगी। इसका मुख्य मकसद अरावली को गुजरात से लेकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैली एक लगातार और अखंड भूवैज्ञानिक पहाड़ी के रूप में सुरक्षित रखना है। मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि इस क्षेत्र में किसी भी तरह की अनियमित माइनिंग गतिविधियों को रोका जाए ताकि पहाड़ सुरक्षित रहें।
In a major step towards conservation and protection of the entire Aravalli Range stretching from Delhi to Gujarat from illegal mining, the Union Ministry of Environment, Forest and Climate Change (MoEF&CC) has issued directions to the States for a complete Ban on the Grant of any… pic.twitter.com/QZ5wL8zgHK — IANS (@ians_india) December 24, 2025
खनन पर रोक लगाने के अलावा, पर्यावरण मंत्रालय ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंत्रालय ने इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन यानी आईसीएफआरई को निर्देश दिया है कि वह पूरे अरावली क्षेत्र का सर्वेक्षण करे। उन्हें ऐसे और नए इलाकों या जोन की पहचान करनी होगी, जहां खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। यह पहचान सिर्फ नक्शे पर नहीं, बल्कि पारिस्थितिक, भूवैज्ञानिक और लैंडस्केप के स्तर पर विचारों के आधार पर की जाएगी। ये नए इलाके उन क्षेत्रों के अलावा होंगे जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा पहले से ही प्रतिबंधित खनन क्षेत्रों की सूची में डाला गया है। इसके साथ ही सरकार ने उन खदानों के लिए भी निर्देश जारी किए हैं जो वर्तमान में चल रही हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि पहले से चल रही खदानों के लिए संबंधित राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वहां सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का बहुत ही सख्ती से पालन हो। वहां का काम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार ही होना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा और टिकाऊ खनन के तरीकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए, चल रही खनन गतिविधियों को अतिरिक्त प्रतिबंधों के साथ रेगुलेट किया जाएगा, ताकि प्रकृति को कम से कम नुकसान हो।
यह पूरा मामला नवंबर 2025 के बाद से ज्यादा गर्माया था, जब देश की शीर्ष अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय के नेतृत्व वाली एक समिति की सिफारिश पर अरावली पहाड़ियों और अरावली रेंज की एक नई कानूनी परिभाषा को स्वीकार कर लिया था। इस नई परिभाषा के तहत, अरावली पहाड़ी उसे माना गया जो अपने आसपास के इलाके से कम से कम 100 मीटर की ऊंचाई वाली भू-आकृति हो। वहीं, अरावली रेंज उसे कहा गया जो एक दूसरे के 500 मीटर के भीतर मौजूद दो या दो से अधिक ऐसी पहाड़ियों का समूह हो। इस परिभाषा के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार की आलोचना शुरू कर दी थी कि इससे खनन को बढ़ावा मिलेगा।
इस विवाद पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर अरावली की नई परिभाषा के मुद्दे पर गलत सूचना और झूठ फैलाने का आरोप लगाया। भूपेन्द्र यादव ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार अरावली की सुरक्षा और उसे पहले जैसा बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पर्वत श्रृंखला के केवल 0.19 प्रतिशत हिस्से में ही कानूनी रूप से खनन किया जा सकता है।
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मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में राजस्थान में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की अनुमति दी थी, लेकिन अब वह भ्रम फैला रही है। उन्होंने साफ किया कि नई परिभाषा का उद्देश्य अवैध खनन पर अंकुश लगाना है और कानूनी रूप से टिकाऊ खनन की अनुमति देना है, वह भी तब जब आईसीएफआरई इसके लिए एक ठोस प्रबंधन योजना तैयार कर लेगा।