दीनानाथ बत्रा (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः भारत के जाने-माने शिक्षाविद और शिक्षक दीनानाथ बत्रा का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने अंतिम सांस दिल्ली में ली। वह 94 साल के थे। बत्रा शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के राष्ट्रीय संयोचक और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्याय के संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में भी जाना जाता है।
दीनानाथ बत्रा का पार्थिव शरीर शुक्रवार (8 नंवबर) को सुबह 8 बजे से 10 बजे तक दिल्ली के नारायणा विहार स्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के केंद्रीय कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
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दीनानाथ बत्रा का जन्म 1932 में पंजाब के डेरा गाजी खान में हुआ था, जो वर्तमान पाकिस्तान में है। वे भारतीय पंजाब के पटियाला जिले के डेरा बस्सी में दयानंद एंग्लो-वैदिक स्कूल के प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत थे। 1966 में उन्हें कुरुक्षेत्र में गीता सीनियर स्कूल का प्रधानाध्यापक नियुक्त किया गया, जिसकी स्थापना आरएसएस द्वारा की गई थी। वे आरएसएस के प्रचारक हैं।
12 नवंबर 2014 को हरियाणा राज्य की नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने घोषणा की कि बत्रा को शिक्षाविदों की एक नई समिति में नियुक्त किया जाएगा। इस समिति में राज्य के सेवानिवृत्त शिक्षक और प्रोफेसर शामिल होंगे।
दीनानाथ ने अपने जीवन काल में शिक्षा के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा देशव्यापी आंदोलन चलाया गया था। जिसकी वजह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी भारत केंद्रित शिक्षा को आधार बनाया गया। उन्हें स्वामी कृष्णानंद सरस्वती सम्मान, स्वामी अखंडानंद सरस्वती सम्मान, भाऊराव देवरस सम्मान जैसे अनेक सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
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दीनानाथ ने 30 मई 2001 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को कानूनी नोटिस भेजा था। बत्रा ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा अपने पूर्ण अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में विद्या भारती के प्रति अपमानजनक बातें शामिल थीं। उनके अनुसार प्रस्ताव में कहा गया था कि विद्याभारती द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पाठ्य पुस्तकें अल्पसंख्यकों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण और हिंसा को बढ़ावा देती हैं, जाति व्यवस्था, सती और बाल विवाह को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताकर उचित ठहराती हैं और उनमें अंधविश्वास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रतिकूल मनगढ़ंत तथ्य शामिल हैं।