कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के ‘‘समाजवादी” और ‘‘धर्मनिरपेक्ष” शब्दों की समीक्षा संबंधी बयान को लेकर हमला बोला है। कांग्रेस ने दावा किया कि है आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का पूरा प्रचार अभियान भी संविधान बदलने पर केंद्रित था, लेकिन जनता ने इसे खारिज कर दिया। रमेश ने दावा किया कि आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।
रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा, आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। इसने 30 नवंबर, 1949 के बाद से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और इसके निर्माण में शामिल अन्य लोगों पर निशाना साधा। रमेश ने कहा, आरएसएस के अपने शब्दों में कहे तो संविधान मनुस्मृति से प्रेरित नहीं था।
आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। 30 नवंबर 1949 से ही उसने डॉ. अंबेडकर, नेहरू और संविधान निर्माण से जुड़े अन्य लोगों पर हमले किए। स्वयं आरएसएस के शब्दों में, यह संविधान मनुस्मृति से प्रेरित नहीं था। आरएसएस और बीजेपी ने बार-बार नए संविधान की मांग… pic.twitter.com/NLhH6IbpFO — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 27, 2025
उन्होंने दावा किया कि आरएसएस और भाजपा ने बार-बार नए संविधान का आह्वान किया है। रमेश ने कहा, 2024 के लोकसभा चुनाव में यही प्रधानमंत्री मोदी का चुनावी नारा था। लेकिन भारत की जनता ने इस नारे को निर्णायक रूप से खारिज कर दिया। फिर भी, संविधान के मूल ढांचे को बदलने की मांग लगातार आरएसएस के तंत्र द्वारा की जाती रही है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की प्रति साझा करते हुए कहा, भारत के प्रधान न्यायाधीश ने स्वयं 25 नवंबर, 2024 को उसी मुद्दे पर एक फैसला सुनाया था, जिसे अब एक प्रमुख आरएसएस पदाधिकारी की ओर से फिर से उठाया जा रहा है। क्या वे कम से कम उस फैसले को पढ़ने का कष्ट करेंगे?
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दत्तात्रेय होसबोले ने आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि, बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। होसबोले ने कहा, इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट से साथ)