दिग्विजय सिंह, KC वेणुगोपाल
Digvijay Singh Vs KC Venugopal: वैसे तो कांग्रेस स्थापना दिवस से एक दिन पहले पार्टी ने मनरेगा बचाओ, वोट चोरी, बांग्लादेश और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर कार्यसमिति की बैठक बुलाई थी, लेकिन उससे ठीक पहले वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के एक्स पर किए गए दो पोस्ट ने हलचल मचा दी। दिग्विजय पहले भी पार्टी संगठन को मजबूत करने की पैरवी करते रहे हैं। वोट चोरी के खिलाफ अभियान के ऐलान के बाद भी उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या पूरे देश में वार्ड स्तर तक कांग्रेस का संगठन मौजूद है?
इसके बाद दिग्विजय ने पोस्ट के जरिए सीधे राहुल गांधी से संगठन को मजबूत करने के लिए विकेंद्रीकरण की जरूरत बताई। संभव है कि उन्हें लगा हो कि उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, इसलिए सीडब्ल्यूसी बैठक से पहले उन्होंने आरएसएस और बीजेपी के संगठन की तारीफ करते हुए एक और पोस्ट कर दिया और पहले वाले पोस्ट को पिन भी कर दिया।
इसके बाद दिग्विजय सिंह ने यह मुद्दा बैठक में भी उठाया। सूत्रों के अनुसार, दिग्विजय ने कहा कि एक तरफ संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां हो रही हैं, लेकिन उनका सवाल यह दर्शाता है कि वे इस पूरी प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं।
CWC बैठक (Image- Social Media)
उन्होंने कहा कि आरएसएस एक खतरनाक संगठन है और उससे मुकाबले के लिए वार्ड स्तर तक मजबूत संगठन होना बेहद जरूरी है। साथ ही संगठन का विकेंद्रीकरण भी होना चाहिए। उनका तर्क था कि जब तक जमीनी स्तर पर संगठन नहीं होगा, तब तक पार्टी के कार्यक्रम सफल नहीं हो पाएंगे। चूंकि संगठन से जुड़ा अधिकतर काम महासचिव केसी वेणुगोपाल के पास है, इसलिए कांग्रेस के अंदर इस सियासी खींचतान को दिग्विजय बनाम केसी के रूप में भी देखा जा रहा है।
दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक कमजोरी को लेकर बयान दिया। दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि पार्टी के भीतर काफी सारे स्लीपर सेल एक्टिव हैं, जिन्हें पहचानने की जरूरत है। उनके इस बयान के बाद पार्टी के अंदर और बाहर राजनीतिक हलचल तेज हो गई।
दिग्विजय सिंह (Image- Social Media)
इसके साथ ही इशारों में यह मांग भी मानी जा रही है कि लंबे समय से बिना पोर्टफोलियो के महासचिव प्रियंका गांधी को संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जाए। हालांकि, जब दिग्विजय ने बैठक में अपनी बात रखी तो सभी ने चुपचाप सुना और पार्टी ने तय किया कि इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं दिया जाएगा।
यही वजह रही कि मीडिया विभाग से लेकर खरगे और राहुल गांधी तक इस मामले पर चुप्पी साधे रहे। मनरेगा बचाओ अभियान पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए खरगे ने 5 जनवरी से देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की, जबकि राहुल ने नीतियों में बदलाव की जानकारी मंत्रियों तक को नहीं होने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। लेकिन दिग्विजय सिंह से जुड़े सवाल न आएं, इसके लिए दोनों नेताओं ने सवाल-जवाब से पहले ही मंच छोड़ दिया।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में खरगे ने दिग्विजय और शशि थरूर दोनों को उनके बयानों को लेकर नसीहत दी। उन्होंने दिग्विजय से कहा कि भारत में हो रही घटनाओं की तुलना बांग्लादेश से करना ठीक नहीं है, इससे पार्टी को नुकसान पहुंचता है। वहीं शशि थरूर के विदेश नीति पर सवाल न उठाने वाले बयान पर भी खरगे ने असहमति जताई और कहा कि अगर विदेश नीति में खामी है तो उसे उठाया जाना चाहिए।
दिग्विजय और शशि थरूर (Image- Social Media)
बैठक के बाद शशि थरूर तो मीडिया से बचते नजर आए, लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपने पोस्ट को लेकर सफाई दी। टीवी 9 भारतवर्ष से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्होंने आरएसएस या बीजेपी की तारीफ नहीं की, बल्कि उनके संगठनात्मक ढांचे की बात की है। उन्होंने कहा कि वे आरएसएस और बीजेपी के कट्टर विरोधी हैं और संगठन को लेकर जो कहना था, वही उन्होंने लिखा।दिग्विजय ने यह भी साफ किया कि वे हमेशा से विकेंद्रीकरण के समर्थक रहे हैं और बैठक में भी उन्होंने यही बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि उनका पोस्ट केसी वेणुगोपाल के खिलाफ नहीं है।
यह भी पढ़ें- ‘दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं…’ पिनराई विजयन पर क्यों भड़क उठे DK शिवकुमार, जानिए क्या है पूरा मामला
अब रविवार को कांग्रेस का 141वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा, जिसमें 5 जनवरी से फरवरी तक चलने वाले मनरेगा बचाओ अभियान के कार्यक्रम का औपचारिक ऐलान होगा। इस अभियान को प्रियंका गांधी ने अंतिम रूप दिया है, लेकिन फिलहाल सियासी चर्चा में दिग्विजय सिंह का नाम बना रहना तय माना जा रहा है।