कांग्रेस नेता राहुल गांधी व असम के सीएम हिमंता सरमा (फोटो- सोशल मीडिया)
Rahul gandh vs Himanta Sarma News: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी टैरिफ पर राहुल गांधी की जिस तरह की टिप्पणी आई है इससे उनकी ‘भारत विरोधी मानसिकता’ उजागर होती है। मुख्यमंत्री सरमा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं राहुल गांधी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की छवि को खराब करने में लगे रहे हैं।
राहुल गांधी ने बुधवार को कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘मृत’ कहना सही था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के अलावा बाकी सभी इस मुद्दे पर चुप हैं। असम के मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि यह बयान न केवल भाजपा के खिलाफ है, बल्कि भारत विरोधी मानसिकता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पिछले एक हफ्ते में राहुल गांधी की सच्चाई सामने आ गई है।
राहुल गांधी भाजपा विरोधी नहीं, भारत विरोधी हैं! pic.twitter.com/uJiOBjLlxT
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 1, 2025
सिर्फ अमेरिकी टैरिफ ही नहीं, सरमा ने मालेगांव विस्फोट मामले को लेकर भी कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिस पर उन्होंने कहा कि इस मामेले में RSS चीफ मोहन भागवत को भी फंसाने की पूरी कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि यह एक ‘राजनीतिक शिकार’ था, जिसमें तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े होने चाहिए।
कांग्रेस ने पूज्य सरसंघचालक को गिरफ्तार करने का षड्यंत्र रचा था। pic.twitter.com/pKmf7OwNWL
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 1, 2025
मुख्यमंत्री हिमंता सरमा ने कहा कि यह एक स्पष्ट साजिश थी, जिसका मकसद हिंदू धर्म और आरएसएस को बदनाम करना था। उन्होंने कहा कि मालेगांव मामले में विशेष एनआईए अदालत का फैसला, जिसमें सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया गया, कांग्रेस की झूठी कहानी को पूरी तरह से उजागर करता है। उन्होंने मांग की कि अब पी. चिदंबरम से पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने हिंदू समाज को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश क्यों की।
यह भी पढ़ें: ‘जीवित नेताओं के नाम पर खैरात न बांटे’, हाईकोर्ट की स्टालिन सरकार को फटकार
बता दें मालेगांव विस्फोट मामले में अदालत ने लगभग 17 साल बाद अपना फैसला सुनाया। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष कोई ठोस और विश्वसनीय सबूत पेश नहीं कर सका। न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता और आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन सिर्फ धारणा के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।