
दिल्ली में कृत्रिम बारिश (डिजाइन फोटो)
 
    
 
    
नई दिल्ली : दिल्ली समेत देश के कई शहरों में प्रदूषण की स्थिति भयावह मानी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद दिल्ली सरकार ने शहर में खतरनाक वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ योजनाएं बनायी हैं, जिसमें ऑड-इवेन वेहिकल स्कीम व आर्टिफिशियल रेन (Artificial Rain) या क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) जैसे कार्य किए जाने हैं। दिल्ली सरकार ने कृत्रिम बारिश या आर्टिफिशियल रेन प्रक्रिया पर आने वाले पूरे खर्च को खुद उठाने का फैसला किया है। हालांकि इसके लिए भी उसको केन्द्र सरकार की मंजूरी चाहिए। सरकार ने मुख्य सचिव को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने केजरीवाल सरकार के इस विचार को पेश करने का निर्देश दिया गया है।
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने इस बात की जानकारी साझा करते हुए कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट निर्देश व केन्द्र सरकार का सहयोग मिलता है तो दिल्ली में 20 नबंवर तक पहली आर्टिफिशियल रेन कराने की प्रक्रिया पर अमल लाया जा सकता है। हालांकि इस कार्य पर करीबन 13 करोड़ रुपए भी खर्च होने का अनुमान है। वैसे दिल्ली सरकार का प्लान है कि इसे 2 चरणों में लागू कराया जाय। पहले राउंड में इसको 300 वर्ग मीटर में और फिर अगले राउंड में 1000 वर्ग मीटर में कवर करने का प्लान है। यह प्लान 20 व 21 नवंबर के लिए बनाया जा रहा है।
आपको बता दें कि हमारे देश में आर्टिफिशियल रेन प्रक्रिया को पहले भी अपनाया जा चुका है। भारत में कृत्रिम बारिश इसके पहले महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में कराई जा चुकी है। वहां पर ये कार्य सूखे की स्थिति से निपटने के लिए किया गया था। लेकिन दिल्ली में इसका उपयोग प्रदूषण से बचने के लिए किया जाने वाला है। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने राजधानी का हाल देखते हुए खतरनाक वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश की योजना बनायी है और आज इसे सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा।
 
50 से ज्यादा देशों में हो चुकी हैं क्लाउड सीडिंग
कृत्रिम बारिश कराने के लिए क्लाउड सीडिंग की जाती है। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के लिए छोटे-छोटे विमानों का इस्तेमाल किया जाता है, जो बादलों के बीच से गुजकते हैं। इन विमानों से सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और क्लोराइड छोड़े जाते हैं, जिससे वहां मौजूद बादलों में पानी की बूंदें जमने लगती हैं। यही पानी की बूंदें फिर बारिश बनकर थोड़ी देर बाद जमीन पर गिरती हुयी दिखायी देती हैं। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि क्लाउड सीडिंग के जरिए होने वाली कृत्रिम बारिश सामान्य दिनों में होने वाली बारिश की तुलना में ज्यादा तेज गति से होती है।
 
क्लाउड सीडिंग (डिजाइन फोटो )
हमारे देश में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी कानपुर के कुछ विशेषज्ञों की एक टीम साल 2017 से क्लाउड सीडिंग के जरिए आर्टिफिशियल बारिश करवाने की इस तकनीक पर काम करना शुरू किया था। कहा जा रहा है कि जून 2023 में आईआईटी कानपुर को इस तकनीक के जरिए आर्टिफिशियल बारिश कराने में कामयाबी भी मिल चुकी है। आईआईटी कानपुर की टीम ने क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी के बारे में बताया कि इसके लिए बादलों में एक केमिकल पाउडर छिड़का, जिससे पानी की बूंदें बनने लगीं. ऐसा करने के कुछ देर बाद आसपास के इलाकों में बारिश शुरू हो गई। इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए आईआईटी की टीम ने सेना का भी सहयोग लिया था, तब जाकर यह प्रयोग सफलता पूर्वक पूरा किया जा सका था।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने भी इस बारे में कहा है कि आर्टिफिशियल बारिश कराने का प्रयास तभी किया जा सकता है, जब बादलों में नमी हो। ‘क्लाउड सीडिंग’ में संघनन की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए रासायनिक पदार्थों को हवा में फैला दिया जाता है, जिसके जरिया कुछ रासायनिक क्रियाएं होती हैं और नतीजतन थोड़ी ही देर में बारिश होने लगती है।
After six years of effort, #IITKanpur has successfully conducted #cloudseeding to create artificial rain. Watch how they did it!#ArtificialRain #IIT #Experiment #Sustainable #Pollution #stubbleburning pic.twitter.com/5PTjeuTwzw — The Better India (@thebetterindia) November 9, 2023
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को ही विभागीय सलाहकारों से बातचीत करने के बाद कहा था कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ नए प्रयोग करने जाजा रही है। इसमें इसी महीने ‘क्लाउड सीडिंग’ के जरिए आर्टिफिशियल बारिश कराने की भी योजना पर काम किया जा रहा है। इसके लिए गोपाल राय ने पहले आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की। साथ ही इस प्रक्रिया की सफलता व अन्य तकनीकि पहलुओं पर जानकारी ली। ‘क्लाउड सीडिंग’ की कोशिश सफल होने के बारे में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने साफ तौर पर कहा कि यह प्रक्रिया तभी सफल हो सकती है, जब वातावरण में नमी हो या उपर बादल दिखायी दे रहे हों।
''प्रदूषण की स्थिति के मद्देनजर Cloud Seeding की संभावना को लेकर आज IIT Kanpur की टीम के साथ बैठक हुई आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कल IIT कानपुर सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजेंगे। अगर कल हमें उनका प्रस्ताव मिलता है तो हम इसे सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करेंगे अगर… pic.twitter.com/LAycEO3f2u — AAP (@AamAadmiParty) November 8, 2023
संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन ने साल 2017 की अपनी एक रिपोर्ट जारी करके जानकारी दी थी कि दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में क्लाउड सीडिंग की तकनीक को आजमाया जा चुका है। इसके लिए चीन, अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे प्रमुख देश कोशिशें कर रहे हैं।
आपको याद होगा कि साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक के दौरान बारिश खेल न बिगाड़ दे, इसलिए चीन ने वेदर मोडिफिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर पहले ही बारिश करवा चुका है। अब चाइना की योजना है कि वर्ष 2025 तक देश के 55 लाख वर्ग किलोमीटर इलाके को आर्टिफिशियल बारिश के तहत कवर कर ले। इसके अलावा टोक्यो ओलंपिक और फिर पैरालंपिक के दौरान जापान ने भी आर्टिफिशियल रेन जनरेटर का इस्तेमाल करके सफल आयोजन कराने की कोशिश की थी।
इसके साथ ही साथ यूएई ने एक साल पहले यानी 2022 में क्लाउड सीडिंग के जरिए इतनी जोरदार बारिश कराई थी कि वहां पर बाढ़ की स्थिति बन गई थी। इसके अलावा थाईलैंड सरकार की योजना 2037 तक क्लाउड सीडिंग की तकनीक के जरिए सूखाग्रस्त इलाकों को हराभरा बनाने की है।






