CJI सूर्यकांत, फोटो- सोशल मीडिया
Challenges for CJI Surya Kant: जस्टिस सूर्यकांत को राष्ट्रपति ने भारत का 53वां मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया है। 14 महीने के कार्यकाल में, उनके सामने SIR, वक्फ एक्ट, और दिल्ली-NCR प्रदूषण जैसे राष्ट्रहित से जुड़े कई बड़े मामले चुनौती के रूप में होंगे।
जस्टिस सूर्यकांत आज देश के 53वें CJI के तौर पर शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल सिर्फ 14 महीने का होगा, क्योंकि वह फरवरी 2027 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इन 14 महीनों में उनके सामने कई ऐसे मामले आने वाले हैं, जो उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। इनमें से सबसे बड़ा मामला SIR से जुड़ा होगा, जो अभी देशभर में चल रहा है और इसको लेकर कई जगहों पर विरोध भी शुरू हो गया है, और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इसी तरह, वक्फ एक्ट का मामला भी सीजेआई के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत के सामने एक बड़ी चुनौती होगी।
उनके सामने दिल्ली-NCR में प्रदूषण से जुड़ा मामला भी अहम है, जो सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है। इस संवेदनशील मुद्दे पर भी सभी की निगाहें जस्टिस सूर्यकांत के फैसले पर होंगी। इसके अलावा, तलाक-ए-हसन की प्रथा की वैधता को चुनौती देने वाली सुनवाई भी एक महत्वपूर्ण मामला है। यह प्रथा है जिसके मुताबिक पति तीन महीने के अंदर एक-एक बार तलाक कहकर शादी को खत्म कर सकता है।
सीजेआई बनने से पहले, जज के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत 300 से अधिक अहम फैसले दे चुके हैं, जिनमें कई संविधान, प्रशासन और सामाजिक न्याय से जुड़े रहे हैं। उनकी बेंच ने जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा था। वह बिहार एसआईआर मामले में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं, जहां उन्होंने वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।
जस्टिस सूर्यकांत पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई वाली बेंच में भी शामिल थे। उस समय जासूसी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई गई थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर सरकार को असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते। उन्होंने धारा 144 और जनजातीय अल्पसंख्यक अधिनियम से जुड़े मामलों की सुनवाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा के हिसार के रहने वाले हैं, उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हुआ था। उन्होंने 1984 में वकालत शुरू की, जिसकी शुरुआत हिसार जिला अदालत से हुई। वह सिर्फ 38 साल की उम्र में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बन गए थे। जनवरी 2004 में वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जज बने। मई 2019 में, वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत हुए थे।