भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (फोटो- सोशल मीडिया)
CJI Gavai on Bulldozer Action: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने ‘बुलडोजर एक्शन’ पर अब तक की सबसे तीखी और स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय न्याय व्यवस्था में इसकी कोई जगह नहीं है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सरकार एक साथ जज, जूरी और जल्लाद की भूमिका नहीं निभा सकती। मॉरीशस में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए CJI ने कहा कि किसी आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाना कानून की प्रक्रिया को तोड़ने जैसा है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 का सीधा उल्लंघन है।
CJI बीआर गवई मॉरीशस में आयोजित सर मॉरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025 में बोल रहे थे, जहां मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमबीर गोखूल और प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम भी मौजूद थे। CJI ने भारत में ‘कानून के शासन’ के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल नियमों का एक सेट नहीं, बल्कि एक नैतिक और सामाजिक ढांचा है जो समानता और गरिमा सुनिश्चित करता है। उन्होंने तीन तलाक, चुनावी बॉन्ड और निजता के अधिकार जैसे सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि अदालत ने हमेशा मनमाने कानूनों को खत्म किया है।
यह पहली बार नहीं है जब CJI गवई ने बुलडोजर एक्शन पर अपनी राय रखी है। इससे पहले 24 सितंबर को उन्होंने कहा था कि बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आदेश देने पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत संतुष्टि मिली थी। उन्होंने इस फैसले के मानवीय पहलू पर जोर देते हुए कहा कि किसी परिवार के एक सदस्य के अपराधी होने की वजह से पूरे परिवार को परेशान नहीं किया जा सकता। इस दौरान उन्होंने फैसले का श्रेय अपने साथी जज जस्टिस केवी विश्वनाथन को भी दिया, जो उस बेंच में उनके साथ शामिल थे।
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सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में बुलडोजर एक्शन को लेकर 15 सख्त गाइडलाइंस जारी की थीं। इन दिशानिर्देशों का सार यह है कि अब कोई भी अधिकारी अपनी मर्जी से किसी का निर्माण नहीं गिरा सकता। किसी भी कार्रवाई से पहले संपत्ति के मालिक को 15 दिन का शो-कॉज नोटिस देना अनिवार्य है। मालिक को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका मिलेगा और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी होगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर इन नियमों का पालन नहीं किया गया तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और तोड़े गए निर्माण को दोबारा बनवाने का पूरा खर्च जिम्मेदार अधिकारी को अपनी जेब से देना होगा।