
BvS10 सिंधु ऑल टेरेन वाहन। इमेज-सोशल मीडिया
Army BvS10 Sindhu All Terrain Vehicle: रक्षा मंत्रालय ने मेक इन इंडिया पहल के तहत स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देते हुए लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को सेना के लिए BvS10 सिंधु ऑल टेरेन वाहन सप्लाई करने का ठेका दिया है। यह वाहन BAE Systems Hagglunds के BvS10 प्लेटफॉर्म पर बेस्ड है। इसे भारतीय जरूरतों के अनुसार काफी हद तक बदला और स्वदेशी बनाया गया है। इस वाहन को बाहुबली कहा जाता है।
सेना ने 18 वाहनों का ऑर्डर दिया है। पहले बैच के सफल ट्रायल के बाद 100 से ज्यादा अतिरिक्त वाहन खरीदने की योजना है। इन वाहनों का इस्तेमाल खासकर ऊंचाई वाले और बर्फीले इलाकों, जैसे-लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में किया जाएगा।
L&T के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि शुरुआती संख्या कम होने के बावजूद 2027 में पहला BvS10 सिंधु वाहन 60 फीसदी से ज्यादा स्वदेशी सामग्री के साथ बनेगा। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्युनिकेशन सिस्टम, आर्मर और अन्य अहम सब असेंबली भारत में ही बनाई जाएंगी।
कंपनी का कहना है कि BvS10 सिंधु को सेना के साथ मिलकर डिजाइन किया गया है। इसमें ऊंचाई वाले इलाकों के लिए इंजन में बदलाव किया गया। सेना के रेडियो और बैटल मैनेजमेंट सिस्टम दिया गया है। स्वदेशी कंपोजिट आर्मर, बेहद ठंडे मौसम के लिए खास हीटिंग सिस्टम और भविष्य की सुरक्षा प्रणालियों के लिए अपग्रेडेड इलेक्ट्रिकल सिस्टम हैं।
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गुजरात के हजीरा स्थित L&T के आर्मर्ड सिस्टम्स कॉम्प्लेक्स में इन वाहनों का निर्माण होगा। यही फैक्ट्री पहले से K9 वज्र टी तोप और जोरावर लाइट टैंक कार्यक्रम से जुड़ीं परियोजनाओं पर काम कर रही है। पहला BvS10 सिंधु वाहन 2027 में सेना को सौंप दिया जाएगा। सभी 18 वाहन 2028 के मध्य तक डिलीवर होने की उम्मीद है। सेना ने जानबूझकर शुरुआती ऑर्डर छोटा रखा है, जिससे वर्ष 2027-28 की सर्दियों में इन्हें वास्तविक ऑपरेशनल इलाकों में परखा जा सके। इसके बाद बड़े पैमाने पर ऑर्डर दिए जाने की संभावना है। 5 साल तक चले ट्रायल के बाद BvS10 सिंधु का चयन किया गया है। इन परीक्षणों में इस वाहन ने रूस और सिंगापुर के प्रतिद्वंद्वी प्लेटफॉर्म्स को बर्फ, ग्लेशियर और पथरीले इलाकों में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर पीछे छोड़ दिया।






